"पृथ्वी": अवतरणों में अंतर
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पृथ्वी न केवल [[मानव]] ([[:en:human|human]]) का अपितु अन्य लाखों [[प्रजाति|प्रजातियों]] ([[:en:species|species]]) का भी घर है<ref><!--Translate this template and uncomment
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| publisher=Royal Society of Chemistry
| id=ISBN 0-85404-265-2 }}
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पृथ्वी का [[भूपटल]] ([[:en:Crust (geology)|outer surface]]) कई कठोर खंडों या [[प्लेट विवर्तिनिकी|विवर्तनिक प्लेटों
पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है [[भूपटल]], [[भूप्रावार]] और [[क्रोड]]। इसमें से [[बाह्य क्रोड]] तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के [[आंतरिक क्रोड|आतंरिक कोर]] ([[:en:inner core|inner core]]) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है।
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'''पृथ्वी की आतंरिक संरचना''' शल्कीय अर्थात परतों के रूप में है जैसे प्याज के छिलके परतों के रूप में होते हैं। इन परतों की मोटाई का सीमांकन रासायनिक विशेषताओं अथवा यांत्रिक विशेषताओं के आधार पर किया जा सकता है।
यांत्रिक लक्षणों के आधार पर पृथ्वी को [[स्थलमंडल|स्थलमण्डल]], [[दुर्बलता मण्डल]], मध्यवर्ती [[मैंटल]], [[बाह्य क्रोड]] और [[आतंरिक क्रोड]] मे बनाता जाता है। रासायनिक संरचना के आधार पर [[भूपर्पटी]], [[ऊपरी मैंटल]], [[निचला मैंटल]], [[बाह्य क्रोड]] और [[आतंरिक क्रोड]] में बाँटा जाता है।
[[File:Earth poster.svg|thumb|420px|
{| class="wikitable" style="text-align: center;"
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|style="text-align:left;"| [[आतंरिक क्रोड]]
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पृथ्वी के अंतरतम की यह परतदार संरचना भूकंपीय तरंगों के संचलन और उनके [[परावर्तन]] तथा [[प्रत्यावर्तन]] पर आधारित है जिनका अध्ययन [[भूकंपलेखी]] के आँकड़ों से किया जाता है। भूकंप द्वारा उत्पन्न प्राथमिक एवं द्वितीयक तरंगें पृथ्वी के अंदर स्नेल के नियम के अनुसार प्रत्यावर्तित होकर वक्राकार पथ पर चलती हैं। जब दो परतों के बीच घनत्व अथवा रासायनिक संरचना का अचानक परिवर्तन होता है तो तरंगों की कुछ ऊर्जा वहाँ से परावर्तित हो जाती है। परतों के बीच ऐसी जगहों को [[भूगर्भिक असातत्य|असातत्य]] (Discontinuity) कहते हैं।
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== चंद्रमा ==
{{मुख्य|चंद्रमा}}
चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र [[प्राकृतिक उपग्रह]] है। यह सौरमंडल का पाचवाँ सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है जिसका व्यास पृथ्वी का एक चौथाई तथा द्रव्यमान १/८१
== चुंबकीय क्षेत्र ==
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पृथ्वी का अपना चुंबकिय क्षेत्र है जो कि बाह्य केन्द्रक के विद्युत प्रवाह से निर्मित होता है। सौर वायू, पृथ्वी के चुंबकिय क्षेत्र और उपरी वातावरण मीलकर औरोरा बनाते है। इन सभी कारको मे आयी अनियमितताओ से पृथ्वी के चुंबकिय ध्रुव गतिमान रहते है, कभी कभी विपरित भी हो जाते है।
पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र और [[सौर वायू]] मीलकर [[वान एण्डरसन विकिरण पट्टा]] बनाते है, जो की प्लाज्मा से बनी हुयी डोनट आकार के छल्लो की जोड़ी है जो पृथ्वी के चारो की वलयाकार मे है। बाह्य पट्टा १९००० किमी से ४१००० किमी तक है जबकि अतः पट्टा १३००० किमी से ७६०० किमी तक है।
== इतिहास ==
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--></ref> पृथ्वी के तिरछे प्रहार के प्रभाव के साथ मंगल के आकार की वस्तु के परिणामस्वरूप (कभी [[विशालकाय प्रभाव परिकल्पना|ठिया]] ([[:en:Giant impact hypothesis|Theia]]) कहा गया)<ref><!--Translate this template and uncomment
{{cite journal | last = R. Canup and E. Asphaug | title = Origin of the Moon in a giant impact near the end of the Earth's formation | journal = Nature | volume = 412 | pages = 708–712 | date = 2001 | url = http://www.nature.com/nature/journal/v412/n6848/abs/412708a0.html | doi = 10.1038/35089010 }}
--></ref> इस वस्तु का कुछ द्रव्यमान पृथ्वी के साथ मिल गया होगा और एक हिस्सा अन्तरिक्ष में प्रवेश कर गया होगा, पर कक्षा में चंद्रमा के निर्माण के लिए पर्याप्त सामग्री भेजा गया होगा
अधिक गैस और [[ज्वालामुखी]] की क्रिया ने आदिम वातावरण को उत्पन्न किया। संघनित[[जल वाष्प]] ([[:en:water vapor|water vapor]]), क्षुद्रग्रह और बड़े आद्य ग्रह, धूमकेतु और नेप्चून के पार से निष्पादित संवर्धित बर्फ और तरल पानी से [[विश्व के महासागरों का जन्म|महासागर उत्पन्न हुआ]] ([[:en:Origin of the world's oceans|produced the oceans]])
{{cite journal | last=Doolittle | first=W. Ford | title=Uprooting the tree of life | journal=Scientific American | date=February, 2000 | volume=282 | issue=6 | pages=90–95 }}
--></ref>
[[प्रकाश संश्लेषण]] के विकास ने सूर्य की उर्जा का प्रत्यक्ष जीवन में उपयोग करने की अनुमति दी, परिणामतः [[आक्सीजन|ऑक्सीजन]] वातावरण में संचित हुआ और [[ओजोन]] (ऊपरी वायुमंडल में [[आक्सीजन|आणविक ऑक्सीजन]] [o<sub>३</sub>] का एक प्रकार) की एक परत के रूप में परिणत
{{cite journal | author=Berkner, L. V.; Marshall, L. C. | title= On the Origin and Rise of Oxygen Concentration in the Earth's Atmosphere | journal=Journal of Atmospheric Sciences | year=1965 | volume=22 | issue=3 | pages=225–261 | url=http://adsabs.harvard.edu/abs/1965JAtS...22..225B | accessdate=2007-03-05 | doi= 10.1175/1520-0469(1965)022<0225:OTOARO>2.0.CO;2 }}
--></ref> कोलोनियों के अंतर्गत सच्चे बहु कोशिकीय जीवो के रूप में वर्धमान विशेषीकृत होता है [[ओजोन परत]] ([[:en:ozone layer|ozone layer]]) द्वारा हानिकारक [[पराबैंगनी|पराबैंगनी विकिरण]] के अवशोषण से सहायता प्राप्त जीवन पृथ्वी पर संघनित हुआ<ref><!--Translate this template and uncomment
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बिना किसी शुष्क भूमि की शुरुआत के समुद्र के ऊपर सतह की कुल मात्रा लगातार बढ़ रही है पिछले दो अरब सालों के दौरान, उदहारण के लिए, महादेशों का कुल परिमाण
दोगुनी हो गई।<ref name=ward_brownlee>वार्ड और ब्रोवन्ली (२००२)</ref> सैकड़ों लाखों साल से अधिक समय से स्वयं को लगातार दुबारा आकार दिया, जिससे महादेश बने और टूटे .महादेश पूरे सतह से कभी कभी एक [[महाद्वीप|वृहत महादेश]] ([[:en:supercontinent|supercontinent]]) के संयोजन के निर्माण के लिए विस्थापित हुए.लगभग ७५० करोड़ साल पहले [[म्या (इकाई)|म्या]] ([[:en:mya (unit)|mya]])), सबसे पहले जन जाने वाला शीर्ष महादेश, [[रोदिनिया|रोडिनिया]] ([[:en:Rodinia|Rodinia]]) अलग से प्रकट होने
{{cite journal | author=Murphy, J. B.; Nance, R. D. | title=How do supercontinents assemble? | journal=American Scientist | year=1965 | volume=92 | pages=324–33 | url=http://scienceweek.com/2004/sa040730-5.htm | accessdate=2007-03-05 | doi=10.1511/2004.4.324 }}
--></ref> अलग से प्रकट हुआ
१९६० के बाद से यह मन गया की ७५० और ५८० लाख साल के बीच में गंभीर [[हिमनद|ग्लासिअल]] क्रिया [[नियोप्रोटेरोजोइक|नियोप्रोतेरोजोइक]] ([[:en:Neoproterozoic|Neoproterozoic]]) के दौरान अधिकांश सतह को एक बर्फ की चादर में ढक लिया इस परिकल्पना को [[पृथ्वी हिमगोला]] ([[:en:Snowball Earth|Snowball Earth]]) कहा गया और यह विशेष रुचि का है क्योंकि जब बहु कोशिकीय जीवन प्रारूप प्रसारित हुआ तब यह [[कैम्ब्रियन विस्फोट]] ([[:en:Cambrian explosion|Cambrian explosion]]) से पहले
{{cite book | last=Kirschvink | first=J. L. | editors=Schopf, J.W.; Klein, C. & Des Maris, D. | year=1992 | title= Late Proterozoic low-latitude global glaciation: the Snowball Earth| series= The Proterozoic Biosphere: A Multidisciplinary Study | pages=51–52 | publisher=Cambridge University Press | id=ISBN 0-521-36615-1 }}
--></ref>
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| accessdate=2007-04-22 | doi = 10.1130/B25899.1 <!--Retrieved from URL by DOI bot-->
}}
--></ref> जो प्रकृति और अन्य जीवों को प्रभावित किया।
[[हिम युग]] ([[:en:ice age|ice age]]) का वर्तमान स्वरूप करीब ४० लाख साल पहले प्रारम्भ हुआ, तब करीब ३ लाख साल बाद [[अभिनूतन]] ([[:en:Pleistocene|Pleistocene]]) तीव्र हुआ ध्रुवीय क्षेत्र तबसे हिमाच्छादन और गलन के क्रमिक चक्र को प्रत्येक ४० - १००,००० सालों में दुहराया है। अन्तिम हिम युग की समाप्ति लगभग १०,००० साल पहले हुई<ref><!--Translate this template and uncomment
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* [http://solarsystem.nasa.gov/planets/profile.cfm?Object=Earth नासा के ''सौर मण्डल अन्वेषण'' द्वारा पृथ्वी की रूपरेखा] {{en}}
* [http://www.nasa.gov/centers/goddard/earthandsun/earthshape.html जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी के आकार में परिवर्तन] {{en}}
* [http://www.achhikhabar.com/2013/04/10/earth-quotes-in-hindi/ पृथ्वी पर महान व्यक्तियों के विचार]
{{सौरमण्डल}}
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{{Authority control}}
[[श्रेणी:पृथ्वी]]
[[श्रेणी:सौर मंडल के ग्रह]]
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