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[[File:Khodahafez nastaliq.svg|thumb|270px|[[अरबी-फ़ारसी लिपि]] में "ख़ुदा हाफ़िज़" जो आम-लिखाई में "ख़दा हाफ़ज़" है क्योंकि छोटे स्वर अनुमानित करे जाते हैं। यह एक अशुद्ध अब्जद है क्योंकि इसमें लम्बे स्वर दर्शाए जाते हैं और छोटे स्वर दर्शाने के
'''अब्जद''' ऐसी लिपि होती है जिसमें हर अक्षर एक [[व्यंजन वर्ण|व्यंजन]] होता है। इसमें [[स्वर वर्ण|स्वर]] लिखा ही नहीं जाता और पाठक को स्वयं ही स्वर का अनुमान लगाना पड़ता है। प्राचीनकाल में [[फ़ोनीशियाई वर्णमाला]] एक अब्जद लिपि थी और उस से उत्पन्न [[यूनानी लिपि]] और [[आरामाई लिपि]] दोनों अब्जद थी। इसी प्रकार [[अरबी भाषा|अरबी]], [[इब्रानी भाषा|इब्रानी]] और [[पहलवी लिपि|पहलवी]] लिपियाँ भी अब्जद थीं। कई आधुनिक अब्जद लिपियाँ अशुद्ध होती हैं, यानि उनमें कभी-कभी स्वर दर्शाए जाते हैं। इसका उदाहरण आधुनिक अरबी लिपि है।<ref>William Bright (2000:65–66): "A Matter of Typology: Alphasyllabaries and Abugidas". In: Studies in the Linguistic Sciences. Volume 30, Number 1, pages 63–71</ref>
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