"पारिजात वृक्ष (किन्तूर)": अवतरणों में अंतर
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==भौगोलिक स्थिति ==
ग्राम किन्तूर बाराबंकी जिला मुख्यालय से लगभग
==पौराणिक महत्व ==
माना जाता है कि किन्तूर) गांव का नाम पाण्डवों की माता कुन्ती के नाम पर है। जब धृतराष्ट्र ने पाण्डु पुत्रों को अज्ञातवास दिया तो पांडवों ने अपनी माता कुन्ती के साथ यहां के वन में निवास किया था। इसी अवधि में ग्राम किन्तूर में कुंतेश्वर महादेव की स्थापना हुयी थी। भगवान शिव की पूजा करने के लिए माता कुंती ने स्वर्ग से पारिजात पुष्प लाये जाने की इच्छा जाहिर की। अपनी माता की इच्छानुसार अर्जुन ने स्वर्ग से इस वृक्ष को लेकर यहां स्थापित कर दिया<ref>http://barabanki.nic.in/places.htm</ref>
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== विशेषताएं ==
लोकमत इस वृक्ष की आयु
==पुष्प ==
इसका पुष्प श्वेत रंग का और सूखने पर सुनहले रंग का हो जाता है। इस वृक्ष में पुष्प बहुत ही कम मात्रा में और कभी -कभी ही गंगा दशहरा (जून के माह ) के अवसर पर ही लगते हैं पुष्प सदैव रात्रि में ही पुष्पित होते हैं। प्रातः काल इसके पुष्प मुरझा जाते हैं। रात्रि के समय पुष्प पुष्पित होने पर इसकी सुगंध दूर --दूर तक फ़ैल जाती है। <ref>http://barabanki.nic.in/places.htm</ref>
==सन्दर्भ==
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