"न्यायपालिका": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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==भारतीय न्यायपालिका==
{{मुख्य|भारत की न्यायपालिका}}
भारत की स्वतंत्र न्यायपालिका का शीर्ष [[सर्वोच्च न्यायालय]] है, जिसका प्रधान [[प्रधान न्यायाधीश]] होता है। [[सर्वोच्च न्यायालय]] को अपने नये मामलों तथा उच्च न्यायालयों के विवादों, दोनो को देखने का अधिकार है। भारत में 24 [[उच्च न्यायालय]] हैं, जिनके अधिकार और उत्तरदायित्व [[सर्वोच्च न्यायालय]] की अपेक्षा सीमित हैं। न्यायपालिका और [[व्यवस्थापिका]] के परस्पर मतभेद या विवाद का सुलह [[राष्ट्रपति]] करता है।
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इस स्तर पर सिविल आपराधिक मामलों की सुनवाई अलग अलग होती है इस स्तर पर सिविल तथा सेशन कोर्ट अलग अलग होते है इस स्तर के जज सामान्य भर्ती परीक्षा के आधार पर भर्ती होते है उनकी नियुक्ति राज्यपाल राज्य मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर करता है<br />
'''फास्ट ट्रेक कोर्ट''' – ये अतिरिक्त सत्र न्यायालय है इनक गठन दीर्घावधि से लंबित अपराध तथा अंडर ट्रायल वादों के तीव्रता से निपटारे हेतु किया गया है<br />
ये अतिरिक्त सत्र न्यायालय है इनक गठन दीर्घावधि से लंबित अपराध तथा अंडर ट्रायल वादों के तीव्रता से निपटारे हेतु किया गया है<br /> इसके पीछे कारण यह था कि वाद लम्बा चलने से न्याय की क्षति होती है तथा न्याय की निरोधक शक्ति कम पड जाती है जेल मे भीड बढ जाती है 10 वे वित्त आयोग की सलाह पर केद्र सरकार ने राज्य सरकारों को 1 अप्रैल 2001 से 1734 फास्ट ट्रेक कोर्ट गठित करने का आदेश दिया अतिरिक्त सेशन जज याँ उंचे पद से सेवानिवृत जज इस प्रकार के कोर्टो मे जज होता है इस प्रकार के कोर्टो मे वाद लंबित करना संभव नहीं होता हैहर वाद को निर्धारित स्मय मे निपटाना होता है<br />
==इन्हें भी देखें==
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