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डाक्ट्रिन आफ लैप्स के अलावा रानी चेनम्मा का अंग्रेजों की कर नीति को लेकर भी विरोध था और उन्होंने उसे मुखर आवाज दी। रानी चेनम्मा पहली महिलाओं में से थीं जिन्होंने अनावश्यक हस्तक्षेप और कर संग्रह प्रणाली को लेकर अंग्रेजों का विरोध किया।
 
अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में रानी चेनम्मा ने अपूर्व शौर्य का प्रदर्शन किया, लेकिन वह लंबे समय तक अंग्रेजी सेना का मुकाबला नहीं कर सकी। उन्हें कैद कर बेलहोंगल किले में रखा गया जहां उनकी [[२१ फरवरी]] [[१८२९]] को उनकी मौत हो गई। [[पुणे]]-[[बेंगलूरु]] राष्ट्रीय राजमार्ग पर [[बेलगाम]] के पास कित्तूर का राजमहल तथा अन्य इमारतें गौरवशाली अतीत की याद दिलाने के लिए मौजूद हैं। उनके सम्मान में उनकी एक प्रतिमा संसद भवन परिसर में भी लगाई गई है।हैं
 
== बाहरी कड़ियाँ ==