"हिन्दी विश्वकोश": अवतरणों में अंतर

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'''हिन्दी विश्वकोश''', [[नागरी प्रचारिणी सभा]] द्वारा [[हिन्दी]] में निर्मित एक [[विश्वकोश]] है। यह बारह खण्डों में पुस्तक रूप में उपलन्धउपलब्ध है। इसके अलावा यह [[अन्तरजाल]] पर पठन के लिये भी नि:शुल्क उपलब्ध है। यह किसी एक विषय पर केन्द्रित नहीं है बल्कि इसमें अनेकानेक विषयों का समावेश है।गक्लहै।
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'''हिन्दी विश्वकोश''', [[नागरी प्रचारिणी सभा]] द्वारा [[हिन्दी]] में निर्मित एक [[विश्वकोश]] है। यह बारह खण्डों में पुस्तक रूप में उपलन्ध है। इसके अलावा यह [[अन्तरजाल]] पर पठन के लिये भी नि:शुल्क उपलब्ध है। यह किसी एक विषय पर केन्द्रित नहीं है बल्कि इसमें अनेकानेक विषयों का समावेश है।गक्ल
 
== इतिहास ==
भारतीय वाङमय में संदर्भग्रंथों - [[शब्दकोश|कोश]], [[अनुक्रमणिका]], निबंध[[निबन्ध]], [[ज्ञानसंकलन]] आदि की परंपरा बहुत पुरानी है। भारतीय भाषाओं में सबसे पहला आधुनिक [[विश्वकोश]] श्री [[नगेंद्रनाथ बसु]] द्वारा सन् 1911 में संपादित [[बाँगला विश्वकोश]] था। बाद में 1916-32 के दौरान 25 भागों में उसका हिंदी रूपांतर 'हिंदी विश्वकोश' के नाम से प्रस्तुत किया गया। बंगला विश्वकोश का पूरा पूरा आधार लेकर चलने पर भी हिंदी का यह प्रथम विश्वकोश नए सिरे से तैयार किया गया। [[मराठी]] विश्वकोश की रचना 23 खंडों में [[श्रीधर व्यंकटेश केतकर]] द्वारा की गई।
 
स्वराज्य प्राप्ति के बाद भारतीय विद्वानों का घ्यान आधुनिक भाषाओं के साहित्यों के सभी अंगों को पूरा करने की ओर गया और आधुनिक भारतीय भाषाओं में विश्वकोश निर्माण का श्रीगणेश हुआ। इसी क्रम में नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी ने सन् 1954 में हिंदी में मौलिक तथा प्रामाणिक विश्वकोश के प्रकाशन का प्रस्ताव [[भारत सरकार]] के सम्मुख रखा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया और उसकी पहली बैठक 11 फ़रवरी 1956 में हुई और हिंदी विश्वकोश के निर्माण का कार्य जनवरी 1957 में प्रांरभ हुआ। सन् 1970 तक 12 खंडों में इस विश्वकोश का प्रकाशन कार्य पूरा किया गया। सन् 1970 में विश्वकोश के प्रथम तीन खंड अनुपलब्ध हो गए। इसके नवीन तथा परिवर्धित संस्करण का प्रकाशन किया गया।