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भारत के प्रत्येक राज्य को उसकी जनसंख्या के आधार पर लोकसभा-सदस्य मिलते है। वर्तमान मे यह 1991की जनसंख्या पर आधारित है। अगली बार लोकसभा के सदस्यों की संख्या वर्ष 2026 मे निर्धारित किया जायेगा। इससे पहले प्रत्येक दशक की जनगणना के आधार पर सदस्य स्थान निर्धारित होते थे। यह कार्य बकायदा 84वें संविधान संशोधन से किया गया था ताकि राज्य अपनी आबादी के आधार पर ज्यादा से ज्यादा स्थान प्राप्त करने का प्रयास नही करें।
 
वर्तमान परिपेक्ष्य में राज्यों की जनसंख्या के अनुसार वितरित सीटों की संख्यासंख्य के अनुसार उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व, दक्षिण भारत के मुकाबले काफी कम है। जहां दक्षिण के चार राज्यों, [[तमिलनाडु]], [[आंध्र प्रदेश]], [[कर्नाटक]] और [[केरल]] को जिनकी संयुक्त जनसंख्या देश की जनसंख्या का सिर्फ 21% है, को 129 लोक सभा की सीटें आवंटित की गयी हैं जबकि, सबसे अधिक जनसंख्या वाले हिन्दी भाषी राज्य [[उत्तर प्रदेश]] और [[बिहार]] जिनकी संयुक्त जनसंख्या देश की जनसंख्या का 25.1% है के खाते में सिर्फ 120 सीटें ही आती हैं।<ref>[http://www.firstpost.com/politics/unequal-democracy-south-gets-more-seats-than-it-deserves-in-ls-10121.html Unequal democracy: South gets more seats in Lok Sabha]</ref> वर्तमान में [[लोक सभा अध्यक्ष|अध्यक्ष]] और आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो मनोनीत सदस्यों को मिलाकर, सदन की सदस्य संख्या ५४४ है।<ref>{{cite web
| title = लोक सभा के संबंध में बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न
| work = [[राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र]]