"एम॰ एस॰ सुब्बुलक्ष्मी": अवतरणों में अंतर

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==प्रशंसा==
अनेक मशहूर संगीतकारों ने श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी की कला की तारीफ़ की है। [[लता मंगेशकर]] ने आपको 'तपस्विनी' कहा, [[उस्ताद बडे ग़ुलाम अली ख़ां]] ने आपको 'सुस्वरलक्ष्मी' पुकारा, तथा [[किशोरी आमोनकर]] ने आपको 'आठ्वां सुर' कहा, जो संगीत के सात सुरों से ऊंचा है। भारत के कई माननीय नेता, जैसे [[महात्मा गांधी]] और [[पंडित नेहरु]] भी आपके संगीत के प्रशंसक थे। एक अवसर पर महात्मा गांधी ने कहा कि अगर श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी 'हरि, तुम हरो जन की भीर' इस मीरा भजन को गाने के बजाय बोल भी दें, तब भी उनको वह भजन किसी और के गाने से अधिक सुरीला लगेगा। एम.एस.सुब्बालक्ष्मी को कला क्षेत्र में [[पद्म भूषण]] से [[१९५४]] में सम्मानित किया गया।
 
==[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] में==
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अंग्रेज़ी में श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी के बारे में जालस्थल। यहां श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी के अनेक चित्र उपलब्ध हैं: [http://sun.science.wayne.edu/~vhari/ms/]
 
{{भारत रत्न सम्मानित}}{{१९५४ पद्म भूषण }}
[[श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण]]
 
[[Category:कर्णाटक संगीत]]
[[Category:शास्त्रीय संगीत]]