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== पूर्व इतिहास ==
सिख धर्म के ऊपर अन्य धर्मों और सरकारी नुमाईन्दो के वार लगातार बढ़ गए थे | सरकार को गलत खबरें दे कर इस्लाम धर्म और हिन्दू धर्म के कट्टर अनुयायियों ने [[गुरु अर्जुन देव]] जी को मौत की सजा दिलवा दी | जब गुरु अर्जुन देव, को बहुत दुःख दे कर शहीद कर दिया गया तो [[गुरु हरगोबिन्द]] जी ने तलवार उठा ली | यह तलवार सिर्फ आत्म रक्षा और आम जनता की बेहतरी के लिए उठाई थी | गुरु हरगोबिन्द जी के जीवन में उन पर लगातार ४ हमले हुए और सतगुरु हरि राए पर भी एक हमला हुआ | [[गुरु हरि कृष्ण]] को भी बादशाह औरंगजेब ने अपना अनुयायी बनाने की कोशिश की |
 
[[गुरु तेग़ बहादुर]] को सरकार ने मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि वो हिन्दू ब्राह्मिणों के दुखों को देख कर सरकार से अपील करने गए थे | उसके बाद कुछ हिन्दू पहाड़ी राजे और सरकारी अहलकारों ने गुरमत के बढते प्रचार व अनुयायियों की भारी संख्या को अपने धर्म के लिए खतरा समझना शुरु कर दिया और वो इसके विरुद्ध एकजुट हो गए। इस बीच गुरु गोबिंद सिंह ने कुछ बानियों की रचना की जिस में हिन्दू धर्म और इस्लाम के खिलाफ सख्त टिप्पणियाँ थी।
 
उपरोक्त परिस्थितयों तथा औरंगजेब और उसके नुमाइंदों के गैर-मुस्लिम जनता के प्रति अत्याचारी व्यवहार को देखते हुए धर्म की रक्षा हेतु जब गुरु गोबिंद सिंह ने सशस्त्र संघर्ष का निर्णय लिया तो उन्होंने ऐसे सिखों (शिष्यों) की तलाश की जो गुरमत विचारधारा को आगे बढाएं, दुखियों की मदद करें और ज़रुरत पढने पर अपना बलिदान देनें में भी पीछे ना हटें|