"भटकन": अवतरणों में अंतर

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गीत संग्रह : 'पराग', 'जंग लगे दर्पण', 'मन हुए हैं कांच के' और 'धूप लिखे आखर'। 'चांदनी धरती पालागन' (प्रेस में) ।
 
हाइकु संग्रह : 'प्रतिबिंबित तुम', 'सन्नाटा खिंचे दिन', 'दु:ख तो पाहुन हैं', 'बांसुरी है तुम्हारी' और 'अक्षर हीरे मोती'।
 
"भटकन" शैल रस्तोगी द्वारा रचित एक प्र्सिद्ध एकांकी है। इस एकांकी में रस्तोगी जी ने बच्चों के मनस्थिति के बारे में बताया है। यह एकांकी उन माता-पिताओं पर टिप्पणी करते है जो अपने काम के कारण अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। आजकल के महंगाई के कारण पति-पत्नी दोनों को काम करना पड्ःता है लेकिन बच्चे इस बात को समझ नहीं पाते हैं। उन्हें लगता है कि माता-पिता उनसे प्यार नहीं करते और वे विरोध करने लगते है, घर से भाग जाने के बारे में सोचते है और कभी-कभी हानिकारक काम भी कर बैठते हैं, लेकिन यह बात सही नहीं है। इस एकांकी में दो बच्चे नीरु और मनुज है जो अपने माता-पिता से शिकायत करते है कि उन्हें यह घर घर नहीं लगता और वह उसमें अकेले रहकर दबा-दबा महसूस करते हैं। नीरू अपने पिता से यह कहती है कि "घर एक थाई है" जिसका मतलब है कि जिस प्र्कार खेल में जीत हासिल करके खिलाडी बहुत खुश होते है, उसी प्र्कार घर में घुसकर भी एक व्यक्ति को ऐसा ही खुश होना चाहिए, तभी एक घर घर कहलाने के लायक है। मनुज को यह भी लगा कि उसके माता-पिता उसके जन्म-दिन तक भूल गये थे लेकिन उसके माता ने उसे पुलोवेरपुलोवर और पिता ने उसे घडी देकर यह बात गलत साबित कर दिया और यह कहा कि वे उनसे बहुत प्यार करते है और नौकरी तो उनकी मजबूरी है।
 
पात्र परिचय:
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दिवाकर- नीरू और मनुज के पिता। वह एक दफ्तर में काम करता है। उन्हें बच्चों के साथ सख्त व्यवहार बिल्कुल पस्ंद नहीं है और उसका यह मानना है कि बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए।
 
कला- दिवाकर की पत्नी और नीरू और मनुज की माता। वह एक कालेज में पढ़ाती है। ऊपर से सख्त है पर अंदर से नरम है। बच्चे पढ़ाई से भटक जाए, यह वह कभी नहीं चाहती है।
 
नीरू- दिवाकर और कला की बेटी। उन्हें पढ़ाई से ज़्यादा कालेज में होने वाले नाटकों में रुचि है। वह बहुत अच्छी नाटक करती है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/भटकन" से प्राप्त