"मांचु भाषा": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Silver seal of the Jedruong Hutuktu.jpg|thumb|220px|तिब्बत के [[दलाई लामा]] के जेदरुओंग हुतुकतू नामक सेवक का राजचिह्न - जिसमें बीच में [[देवनागरी]] से मिलती [[तिब्बती भाषा|तिब्बती लिपि]] में लिखा है और किनारों पर मान्छुमांचु में, जो एक [[तुन्गुसी भाषा]] है]]
'''मान्छुमांचु''' या '''मान्चु''' (मान्छुमांचु: ᠮᠠᠨᠵᡠ ᡤᡳᠰᡠᠨ, मान्जुमांजु गिसुन) पूर्वोत्तरी [[जनवादी गणतंत्र चीन]] में बसने वाले [[मान्छु समुदाय|मांचु समुदाय]] द्वारा बोली जाने वाली [[तुन्गुसी भाषा-परिवार]] की एक भाषा है। [[भाषावैज्ञानिक]] इसके अस्तित्व को ख़तरे में मानते हैं क्योंकि १ करोड़ से अधिक मान्छुमांचु नसल के लोगों में से सिर्फ ७० हज़ार ही इसे अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। बाक़ियों ने [[चीनी भाषा]] को अपनाकर उसमें बात करना आरम्भ कर दिया है। मान्छुमांचु भाषा की 'शिबे भाषा' नाम की एक अन्य क़िस्म चीन के दूर पश्चिमी [[शिनजियांग प्रान्त]] में भी मिलती है, जहाँ लगभग ४०,००० लोग उसे बोलते हैं। शिबे बोलने वाले लोग उन मान्छुओंमांचुओं के वंशज हैं जिन्हें १६४४-१९११ ईसवी के काल में चलने वाले [[चिंग राजवंश]] के दौरान शिनजियांग की फ़ौजी छावनियों में तैनात किया गया था।<ref name="ref61xeper">[http://books.google.com/books?id=tgq1miGno-4C Manchus & Han: ethnic relations and political power in late Qing and early republican China, 1861-1928], Edward J. M. Rhoads, University of Washington Press, 2001, ISBN 978-0-295-98040-9</ref>
 
मान्छुमांचु एक जुरचेन नाम की भाषा की संतान है। जुरचेन में बहुत से [[मंगोल भाषा|मंगोल]] और चीनी शब्दों के मिश्रण से मान्छुमांचु भाषा पैदा हुई। अन्य तुन्गुसी भाषाओँ की तरह मान्छुमांचु में [[अभिश्लेषण]] (अगलूटिनेशन) और [[स्वर सहयोग]] (वावल हार्मोनी) देखे जाते हैं। मान्छुमांचु की अपनी एक [[मान्छु लिपि|मांचु लिपि]] है, जिसे प्राचीन [[मंगोल लिपि]] से लिया गया था। इस लिपि की ख़ासियत है की यह ऊपर से नीचे लिखी जाती है। मान्छुमांचु भाषा में वैसे तो लिंग-भेद नहीं किया जाता लेकिन कुछ शब्दों में स्वरों के इस्तेमाल से लिंग की पहचान होती है, मसलन 'आमा' का मतलब 'पिता' है जबकि 'एमे' का मतलब 'माता' है।
 
== मान्छुमांचु के लक्षणों का विवरण ==
मान्छुमांचु में [[अभिश्लेषण]] देखा जाता है, जहाँ शब्दों की मूल जड़ों में अक्षर और ध्वनियाँ जोड़कर उनके अर्थ में इज़ाफ़ा किया जाता है। उदहारण के लिए यह देखा जाता है 'एमबी', 'आम्बी' या 'इम्बी' जोड़ने से 'करने', 'आने' या किसी और प्रकार का सन्दर्भ आ जाता है:<ref name="ref51xuyiz">[http://books.google.com/books?id=6fqJL619dlgC Manchu: a textbook for reading documents], Gertraude Roth Li, University of Hawaii Press, 2000, ISBN 978-0-8248-2206-4</ref>
** एजेन (अर्थ: राजा) → एजेलेम्बी (अर्थ: राज करना)
** जाली (अर्थ: चालाक/धोख़ेबाज़) → जालीदम्बी (अर्थ: धोख़ा देना)
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** जिम्बी (अर्थ: आना) और अफ़म्बी (अर्थ: लड़ना) → अफ़नजिम्बी (अर्थ: लड़ने के लिए आना)
 
मान्छुमांचु में [[स्वर सहयोग]] भी मिलता है, जिसमें किसी शब्द के अन्दर के स्वरों का आपस में मेल खाना ज़रूरी होता है। कुछ हद तक यह सभी [[अल्ताई भाषाओँ]] में देखा जाता है। मान्छुमांचु में देखा गया ही कि लिंग में मामलों में शब्द के एक से ज़्यादा स्वरों को बदला जाता है:<ref name="ref51xuyiz"/>
** एमिले (मुर्ग़ी) → आमिला (मुर्ग़ा) - ध्यान दीजिये कि [[हिंदी]] के शब्द में केवल अंत का स्वर 'ई' से 'आ' बदला जबकि मान्छुमांचु में दो जगह 'ए' को 'आ' बनाया गया
** हेहे (औरत) → हाहा (आदमी)
** गेन्गेन (कमज़ोर) → गान्गान (ताक़तवर)
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== इन्हें भी देखें ==
* [[मान्छु लोग|मांचु लोग]]
* [[मान्छु लिपि|मांचु लिपि]]
* [[तुन्गुसी भाषाएँ]]