"सदस्य:Neeraj 933/बंदी छोड़ दिवस": अवतरणों में अंतर

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सिख दीपावली को '''बंदी छोड़ दिवस''' के रूप में मानाया जाता है, जिसका अर्थ अंग्रेज़ी में "प्रिज़्नर रिलीज डे" है। इस दिवस को बडि खुशी के साथ मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन साच्चाई और अच्छाई की जीत बुराई पर हुई थी। इस दिन सीखसिख के छटे गुरु, गुरु हरगोबिंद जी और ५२ हिन्दू राजपूत राजाओं को ग्वालियर किले के कारागार से रिहा किया गया। तब से इस दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिवस को हर साल दीपावली के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार सीखसिख के तीन त्योहारों में से एक है जिनमें दो त्योहार माघी और बैसाखी है।
 
== विवरण ==
मुगल शासन से आजादी के लिए सीखसिख द्वारा संघर्ष करने के बाद, बांदी छोर दिवस को वैसाखी त्योहार के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण दिन बनाया गया।
नगर कीर्तन (एक सड़क का जुलूस) और अखंड पथ (गुरु ग्रंथ साहिब को निरन्तर पढना) के अतिरिक्त, बांदी छोड दिवस दिवस को आतिशबाजी प्रदर्शन के साथ मनाया जाता है। इस दिन श्री हरमंदिर साहिब के साथ-साथ पूरे परिसर को झिलमिलाती रोशनी की बत्तियों से सजाया जाता है जिसे देखने पर ऐसा लगता है मानो कि वह एक अनूठा गेहने का डब्बा हो।
 
== ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ==
अपने पिता गुरू अर्जन देव जी की मृत्यू मुगल बादशाह जहांगीर के हाथों से होने के कारण हरगोबिंद जी को सीखसिख समुदाय के सैन्य आयाम पर ज़ोर देने का फैसला बहुत अनिवार्य लगा। उन्होंने प्रतीकात्मक दो तलवारें पहनी थी, जिनका प्रतिनिधित्व मिरी और पिरी (लौकिक शक्ति और आध्यात्मिक अधिकार) था। रमदासपुर (अमृतसर) की रक्षा के लिये उनहोंने एक किला बनवाया और साथ ही साथ एक औपचारिक अदालत भी बनवाया जिसे "अकाल तख्त" कहा गया।
गुरु हरगोबिंद जी के इन आक्रामक कदमों ने जहांगीर को उनहें करगार मे बंद करने पर मजबूर कर दिया। यह अब तक स्पष्ट नही है कि उनहों नेउनहोंने कितना समय कारागार में बिताया था। उनकी रिहाई सन् १६११ में या फिर सन् १६१२ में हुअहुई थाथी जो अब तक स्पष्ट नही है। उस समय तक जहांगीर ने अपने पिता अकबर के सहिष्णु नीतियों को प्रत्यावर्तित कर दिया था और गुरु हरगोबिंद जी को निर्दोष और हानिरहित पाने के बाद, उनकी रिहाई का आदेश दिया गया। सिख परंपरा के अनुसार, ५२ राजाओं जो मुगल साम्राज्य का विरोध करने के लिए बंधकों के रूप में किले में कैद कर लिया गया था वह बहुत निराश थे क्योंकि अब वेह अपने आध्यात्मिक गुरु को खो रहे थे।