"सुचेता कृपलानी": अवतरणों में अंतर

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'''सुचेता कृपलानी''' देश की पहली महिला [[मुख्य मंत्री]] थीं। ये बंटवारे की त्रासदी में [[महात्मा गांधी]] के बेहद करीब रहीं। सुचेता कृपलानी उन चंद महिलाओं में शामिल हैं, जिन्होंने बापू के करीब रहकर देश की आजादी की नींव रखी। वह नोवाखली यात्रा में बापू के साथ थीं। वर्ष 1963 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने से पहले वह लगातार दो बार लोकसभा के लिए चुनी गई। सुचेता दिल की कोमल तो थीं, लेकिन प्रशासनिक फैसले लेते समय वह दिल की नहीं, दिमाग की सुनती थीं। उनके मुख्यमंत्रित्व काल में राज्य के कर्मचारियों ने लगातार 62 दिनों तक हड़ताल जारी रखी, लेकिन वह कर्मचारी नेताओं से सुलह को तभी तैयार हुई, जब उनके रुख में नरमी आई। जबकि सुचेता के पति आचार्य कृपलानी खुद समाजवादी थे।
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|श्रीमती सुचेता कृपालानी 
पूर्व मुख्यमंत्री , उत्तर प्रदेश
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|जन्म
|पंजाब, जून, 1908।
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|शिक्षा
|एम0ए0
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|कार्यक्षेत्र
|राजनीति, समाज सेवा एवं शिक्षा।
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|शिक्षक
|एक सफल एवं योग्य अध्यापिका रहीं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रवक्ता थीं।
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|राजनीति
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* वर्ष 1948 में प्रथम बार उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्या बनी।
* वर्ष 1950-52 में प्रोवीजनल लोक सभा की सदस्या।
* वर्ष 1952, 1957 एवं 1967 में लोक सभा की सदस्या निर्वाचित।
* दिनांक 12 दिसम्बर,1960 से दिनांक 01 अक्टूबर, 1963 तक श्री चन्द्र भानु गुप्त सरकार में मंत्री।
* दिनांक 4 मई,1961 को उत्तर प्रदेश विधान परिषद् की सदस्या।
* वर्ष 1962 में उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्या।
* दिनांक 2 अक्टूबर,1963 से 13 मार्च, 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं।
* वर्ष 1938 में स्वतन्त्रता संग्राम में अग्रणीय कार्य किया।
* वर्ष 1940 और 1944 में कांग्रेस आन्दोलनों में गिरफ्तार।
* <nowiki>''भारत छोड़ो''</nowiki> आन्दोलन में गुप्त रूप से दीर्घ काल तक कार्य किया।
* वर्ष 1951 से 1956 तक किसान मजदूर प्रजा पार्टी तथा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में कार्य किया।
* वर्ष 1946 में नोआखाली (पूर्व बंगाल) के दंगों में पीड़ितों की सहायता तथा बचाव का कार्य किया।
* कांगेस के सहायता विभाग की सेक्रेटरी की हैसियत से भारत के विभाजन के समय शरणार्थियों के पुनर्वासन का कार्य किया।
* ट्रेड यूनियनों की अध्यक्षा तथा इण्डियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस की दिल्ली शाखा की सभापति।
* कस्तूरबा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की संगठन सचिव और गांधी स्मारक निधि की उपसभापति।
* दिल्ली विश्वविद्यालय की सीनेट तथा मीरेण्डा हाउस व लेडी श्रीराम कालेज की गवर्निंग कौंसिलों की सदस्या।
* नव हिन्द एजूकेशन सोसाइटी की अध्यक्षा।
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|विदेश यात्रा
|वर्ष 1949 में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारतीय प्रतिनिधि मंडल की सदस्या होकर अमेरिका गयीं।
 
वर्ष 1954 तथा 1957 में संसदीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर तुर्किस्तान गयीं।
 
बैंकाक में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में आयोजित सभा में भाग लिया।
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|निधन
|दिनांक 1 दिसम्बर, 1974 को नई दिल्ली में देहावसान हो गया।
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== संदर्भ ==