"भ्रमरगीत": अवतरणों में अंतर

छो 117.222.30.96 (Talk) के संपादनों को हटाकर 101.60.159.141 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत...
पंक्ति 14:
: ''कछू कहत कछुवै कहि डारत,
: ''धुन देखियत नहिं नीकी।
: aayo ghosh bado bepari,
: laad gyan gun khep ki gathari brij me aan utari,
: udho man na bhye das bees,
: aek hato so gayo shyam sang ,ab ko arade esh.
: हमरे हरि हारिल की लकरी,
:
: मधुवन तुम कत रहत हरेे,
: विरह वियोग शयाम सुंंदर के ठाड़े कयो ना जरे''I''
 
== जगन्नाथदास रत्नाकर का भ्रमरगीत ==