"पादप वर्गीकरण": अवतरणों में अंतर

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आवृतबीजी पौधों में बीज बंद रहते हैं और इस प्रकार यह अनावृतबीजी से भिन्न हैं। इनमें जड़, तना, पत्ती तथा फूल भी होते हैं। आवृतबीजी पौधों में दो वर्ग हैं :
* (1) द्विबोजपत्री (dicotyledon) और
* (2) एक बीजपत्री (mono cotyledon.monocotyledon)
 
पहलपहले के अंतर्गत आनेवाले पौधों में बीज के अंदर दो दाल रहती हैं और दूसरे में बीज के अंदर एक ही दाल होती है। द्विबीजपत्री के उदाहरण, चना, मटर, आम, सरसों इत्यादि हैं और एकबीजपत्री में गेहूँ, जौ, बाँस, ताड़, खजूर, प्याज हैं। बीजपत्र की संख्या के अतिरिक्त और भी कई तरह से ये दोनों भिन्न हैं जैसे जड़ और तने के अंदर तथा बाहर की बनावट, पत्ती और पुष्प की रचना, सभी भिन्न हैं। द्विबीजपत्री की लगभग 2,00,000 जातियों को 250 से अधिक कुलों में रखा जाता है।
 
आवृतबीजीय पादप में अलग अलग प्रकार के कार्य के लिये विभिन्न अंग हैं, जैसे जल तथा लवण सोखने के लिये पृथ्वी के नीचे जड़ें होती हैं। ये पौधों को ठीक से स्थिर रखने के लिये मिट्टी को जकड़े रहती हैं। हवा में सीधा खड़ा रहने के लिये तना मजबूत और शाखासहित रहता है। यह आहार बनाने के लिये पत्तियों को जन्म देता है और जनन हेतु पुष्प बनाता है। पुष्प में पराग तथा बीजाणु बनते हैं।