"केतु": अवतरणों में अंतर

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== ज्योतिष में ==
[[हिन्दू ज्योतिष]] में केतु अच्छी व बुरी आध्यात्मिकता एवं पराप्राकृतिक प्रभावों का कार्मिक संग्रह का द्योतक है।<ref name="pandit">[http://www.astrologerpanditji.com/page806.htm ज्योतिष में केतु का महत्त्व]|एस्ट्रोलॉजी पंडितजी . कॉम। हिमांशु शंगारी। अभिगमन तिथि: ०४ अक्टूबर २०१२</ref> केतु [[विष्णु]] के [[मत्स्य अवतार]] से संबंधित है। केतु भावना भौतिकीकरण के शोधन के आध्यात्मिक प्रक्रिया का प्रतीक है और हानिकर और लाभदायक, दोनों ही ओर माना जाता है, क्योंकि ये जहां एक ओर दुःख एवं हानि देता है, वहीं दूसरी ओर एक व्यक्ति को देवता तक बना सकता है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिकता की ओर मोड़ने के लिये भौतिक हानि तक करा सकता है। यह ग्रह तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ और अन्य मानसिक गुणों का कारक है। माना जाता है कि केतु भक्त के परिवार को समृद्धि दिलाता है, सर्पदंश या अन्य रोगों के प्रभाव से हुए विष के प्रभाव से मुक्ति दिलाता है। ये अपने भक्तों को अच्छा स्वास्थ्य, धन-संपदा व पशु-संपदा दिलाता है। मनुष्य के शरीर में केतु अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष गणनाओं के लिए केतु को कुछ ज्योतिषी तटस्थ अथवा नपुंसक ग्रह मानते हैं जबकि कुछ अन्य इसे नर ग्रह मानते हैं। केतु स्वभाव से मंगल की भांति ही एक क्रूर ग्रह हैं तथा मंगल के प्रतिनिधित्व में आने वाले कई क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व केतु भी करता है। यह ग्रह तीन [[नक्षत्र|नक्षत्रों]] का स्वामी है: [[अश्विनी]], [[मघा]] एवं [[मूल नक्षत्र]]। यही केतु [[जन्म कुण्डली]] में [[राहु]] के साथ मिलकर [[कालसर्प योग]] की स्थिति बनाता है।</ref name="panditभास्कर" />
यह ग्रह तीन [[नक्षत्र|नक्षत्रों]] का स्वामी है: [[अश्विनी]], [[मघा]] एवं [[मूल नक्षत्र]]। यही केतु [[जन्म कुण्डली]] में [[राहु]] के साथ मिलकर [[कालसर्प योग]] की स्थिति बनाता है।<ref name="भास्कर" />
 
केतु के अधीन आने वाले जातक जीवन में अच्छी ऊंचाइयों पर पहुंचते हैं, जिनमें से अधिकांश आध्यात्मिक ऊंचाईयों पर होते हैं। केतु की पत्नी सिंहिका और विप्रचित्ति में से एक के एक सौ एक पुत्र हुए जिनमें से राहू ज्येष्ठतम है एवं अन्य केतु ही कहलाते हैं।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/केतु" से प्राप्त