"समाजवाद": अवतरणों में अंतर
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ब्रिटिश राजनीतिक विज्ञानी [[हेराल्ड लास्की|हैरॉल्ड लॉस्की]] ने कभी समाजवाद को एक ऐसी टोपी कहा था जिसे कोई भी अपने अनुसार पहन लेता है। समाजवाद की विभिन्न किस्में लॉस्की के इस चित्रण को काफी सीमा तक रूपायित करती है। समाजवाद की एक किस्म विघटित हो चुके सोवियत संघ के सर्वसत्तावादी नियंत्रण में चरितार्थ होती है जिसमें मानवीय जीवन के हर सम्भव पहलू को राज्य के नियंत्रण में लाने का आग्रह किया गया था। उसकी दूसरी किस्म राज्य को [[अर्थव्यवस्था]] के नियमन द्वारा कल्याणकारी भूमिका निभाने का मंत्र देती है। [[भारत]] में समाजवाद की एक अलग किस्म के सूत्रीकरण की कोशिश की गयी है। [[राममनोहर लोहिया]], [[जय प्रकाश नारायण]] और [[नरेन्द्र देव]] के राजनीतिक चिंतन और व्यवहार से निकलने वाले प्रत्यय को 'गाँधीवादी समाजवाद' की संज्ञा दी जाती है।
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