"झूलेलाल": अवतरणों में अंतर

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'''झूलेलाल''' को [[वेद|वेदों]] में वर्णित जल-देवता, [[वरुण]] देव का अवतार माना जाता है। वरुण देव को सागर के देवता, सत्य के रक्षक और दिव्य दृष्टि वाले देवता के रूप में सिंधी समाज भी पूजता है।<ref name="I am a Sindhi">{{cite book | title=I Am a Sindhi: The Glorious Sindhi Heritage - The Culture & Folklore of Sind| url=http://www.sterlingpublishers.com/bookinfo.asp?na=9788120738072| last=Vaswani| first=J.P.| year=2008| pages=129–135| publisher=Sterling Publishers Pvt. Ltd.| location=New Delhi, India| id=9788120738072}}</ref> उनका विश्वास है कि जल से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और जल ही जीवन है। जल-ज्योति, वरुणावतार, झूलेलाल सिंधियों के ईष्ट देव हैं जिनके बागे दामन फैलाकर सिंधी यही मंगल कामना करते हैं कि सारे विश्व में सुख-शांति, अमन-चैन, कायम रहे और चारों दिशाओं में हरियाली और खुशहाली बने रहे।
 
भगवान झूलेलाल के अवतरण दिवस को सिंधी समाज चेटीचंड के रूप में मनाता है। कुछ विद्वानों के अनुसार सिंध का शासक मिरखशाह अपनी प्रजा पर अत्याचार करने लगा था जिसके कारण सिंधी समाज ने 40 दिनों तक कठिन जप, तप और साधना की। तब सिंधु नदी में से एक बहुत बड़े नर मत्स्य पर बैठे हुए भगवान झूलेलाल प्रकट हुए और कहा मैं 40 दिन बाद जन्म लेकर मिरखशाह के अत्याचारों से प्रजा को मुक्ति दिलाउंगा। चैत्र माह की द्वितीया को एक बालक ने जन्म लिया जिसका नाम udaychand (उडेरोलाल) रखा गया। अपने चमत्कारों के कारण बाद में उन्हें झूलेलाल, लालसांई, के नाम से सिंधी समाज और ख्वाजा खिज्र जिन्दह पीर के नाम से मुसलमान भी पूजने लगे। चेटीचंड के दिन श्रद्धालु बहिराणा साहिब बनाते हैं। शोभा यात्रा में ‘छेज’ (जो कि गुजरात के डांडिया की तरह लोकनृत्य होता है) के साथ झूलेलाल की महिमा के गीत गाते हैं। ताहिरी (मीठे चावल), छोले (उबले नमकीन चने) और शरबत का प्रसाद बांटा जाता है। शाम को बहिराणा साहिब का विसर्जन कर दिया जाता है।<ref name="cosmopolitan connections sindhi diaspora">{{cite book | title=Cosmopolitan Connections:The Sindhi Diaspora, 1860-2000 (International Comparative Social Studies, Vol. 9)| last=Falzon| first=Mark-Anthony| year=2004| pages=59| publisher=Brill Academic Publishers| id=9789004140080}}</ref><ref>{{cite book|author=Mark-Anthony Falzon|title=Cosmopolitan Connections: The Sindhi Diaspora, 1860-2000|url=http://books.google.com/books?id=ljbS-I5Y8WMC|accessdate=1 फ़रवरी 2014|volume=9|year=2004|publisher=Brill Academic Publishers|isbn=90-04-14008-5|page=59}}</ref><ref>{{cite book|last=Boivin|first=Michel|date=15 Oct 2008|page=76|title=Sindh through History and Representations: French Contributions to Sindhi Studies|url=|location=|publisher=Oxford University Press|isbn=9780195475036|accessdate=1 फ़रवरी 2014}}</ref>
 
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