"राष्ट्रप्रमुख": अवतरणों में अंतर

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'''राष्ट्रप्रमुख''' अथवा '''राज्यप्रमुख''',अंतर्राष्ट्रीय विधिशास्त्र में, किसी संप्रभु राज्य का एक सार्वजनिक राजनैतिक व्यक्तित्व होता है, जोकि राज्य के अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व को स्वरूपित करता है, और उसेसैद्धांतिकरूपे, अक्सरउसे, संपूर्ण राज्य के चिन्हात्मक मानवीय स्वरुप के रूप में देखा जाता है। उसकाविभिन्न देशों में राष्ट्रप्रमुख को राजा, सम्राट, राष्ट्रपती, परमाधिपति, महाराज्यपाल, अयातुल्लाह, राजकुमार, परम-नेता, इत्यादि जैसे विभिन्न उपदियों से संबोधित किया जाता है। राष्ट्रप्रमुख का पद, राजकीय व्यवस्थापिका का सर्वोच्च अंग होता है, और अंतर्राष्ट्रीय मञ्च पर, राष्ट्रप्रमुख को उस देश के औपचारिक प्रमुख एवं एकमात्र वैधिक प्राधिकारी के रूप में देखा जाता है तथा अन्य तमाम राजकीय प्रतिनिधियों को उसके प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है। अनेक देशों में, सैद्धान्तिकरूपतः, राज्य की तमाम शक्तियाँ उसी के व्यय पर निहित होतीं है, और शासनापालिका, न्यायपालिका तथा विधानपालिका, इत्यादि सारे संसथानों के शक्तियों का स्त्रोत राष्ट्रप्रमुख ही होता है। वहीँ सरकार, शासनयंत्र का वह अंग होती है, जोकि, राष्ट्रप्रमुख पर निहित, राज्य के कार्यकारी प्राधिकारों का उपयोग करती है। जबकि अन्य कई शासन-पद्धतियों में न्यायपालिका और विधानपालिका को राष्ट्रप्रमुख के शक्ति के दायरे से स्वतंत्र रखा जाता है। साथ ही कई देश ऐसे भी हैं, जहाँ राष्ट्रप्रमुख के विवेकाधीन, केवल नाममात्र अधिकार निहित होते हैं। ऐसे देशों में राष्ट्रप्रमुख का पद केवल एक परंपरागत प्रमुखत्मक पद होता है।
उसी के व्यय पर निहित होतीं है, और शासनापालिका, न्यायपालिका तथा विधानपालिका, इत्यादि सारे संसथानों के शक्तियों का स्त्रोत राष्ट्रप्रमुख ही होता है। वहीँ सरकार, शासनयंत्र का वह अंग होती है, जोकि, राष्ट्रप्रमुख पर निहित, राज्य के कार्यकारी प्राधिकारों का उपयोग करती है। कई शासन-पद्धतियों में न्यायपालिका और विधानपालिका को राष्ट्रप्रमुख के शकती के दायरे से स्वतंत्र रखा जाता है।
 
हालाँकि, सामान्यतः, राष्ट्रप्रमुख के पद पर एक व्यक्ति ही विराजमान होता है, परंतु यह आवश्यक नहीं है। कई देशों की विधि में, एक से अधिक व्यक्ति, व्यक्तिसमुह, परिषद् या संस्था को राष्ट्रप्रमुख का दर्जा दिया गया है। सामान्यतः, राष्ट्रप्रमुख की शक्तियाँ और प्राधिकार, अन्य संस्थानों और अधिकारियों पर निहित होते हैं, जिनका उपयोग, राष्ट्रप्रमुख पद का पदाधिकारी स्वयँ नहीं कर सकता हैं। विभिन्न देशों में, स्थानीय विधि, संविधान अथवा ऐतिहासिक परंपरा के अनुसार, राष्ट्रप्रमुख की विवेकाधीन शक्तियाँ भिन्न होती हैं। इन शक्तियों के आधार पर, विभिन्न देशों के राष्ट्रप्रमुख पदों को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है। कई देशों में राष्ट्रप्रमुख को परम सत्ता प्रदान होती है, जबकि कुछ देशों में राष्ट्रप्रमुख सत्ताहीन होता है, अर्थात उसे किसी प्रकार की कोई शक्ति नहीं दी जाती है। अधिकांश देशों में राष्ट्रप्रमुख की शक्तियों को राज्य के विभिन्न अंगों में विभाजित किया गया है, और राष्ट्रप्रमुख पर विस्तृत मात्रा में शक्तियाँ निहित होती हैं, तथा इन शक्तियों पर विभिन्न प्रकार के रोक-थाम का प्रावधान होता है।
 
==विभिन्न राजनैतिक पद्यति==