"पाश्चात्य दर्शन": अवतरणों में अंतर

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=== विद्वन्मंडल के प्रमुख विचारक ===
'''[[एन्सैल्म]]''' (Anselm 1033-1109) विद्वत् सिद्धांत का स्थापक समझा जाता है। दर्शन के इतिहास में उस युक्ति का विशेष स्थान है, जो एन्सैल्म ने ईश्वर के अस्तित्व के पक्ष में दी। [[कांट]] ने इस युक्ति को माना नहीं, परंतु कहा कि जो अन्य युक्तियाँ दी जाती हैं, वे एन्सैल्म की युक्ति की रूपांतर ही हैं। मध्यकाल के दर्शन में [[टामस एक्विनस]] और [[डंस स्कोट्स]] के नाम विशेष महत्व के हैं। [[यथार्थवाद]] और [[नामवाद]] के तीव्र विवाद में वे दोनों पक्षों के प्रमुख प्रवक्ता थे। टामस एक्विनस की धारणा थी कि ज्ञान के कुछ क्षेत्र विश्वास के ही विषय हैं; इसपर भी इंद्रियदत्त ज्ञान उन मूल नियमों की सहायता से, जो प्रत्येक की सक्रिय बुद्धि में विद्यमान हैं, विश्व और परमात्मा के स्वरूप के विषय में कुछ बता सकता है। डंस स्कोटस का विचार था कि सारा ज्ञान विशेषों तक सीमित है; सामान्य प्रत्ययों का अस्तित्व नाम मात्र है। डंस स्कोट्स के योग्य शिष्य [[ओखम]] ने नामवाद के प्रसार में सफल यत्न किया। विद्वद्वाद तर्क में इतना उलझ गया कि धर्म से इसका संबंध टूट सा गया। धार्मिक वृत्ति के लोगों को "संशोधन" ने अपनी ओर खींच लिया। धर्म और दर्शन के पार्थक्य ने आधुनिक दर्शन के लिए मार्ग खोल दिया।
 
V k R
 
== आधुनिक दर्शन ==