"लीला सेठ": अवतरणों में अंतर
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कुछ समय बाद पति को [[भारत]] लौटना पड़ा तो लीला ने यहाँ आ कर वकालत करने की ठानी, यह वह समय था जब नौकरियों मे बहुत कम महिलाएँ होती थी। [[कोलकाता]] मे उन्होने वकालत की शुरुआत की लेकिन बाद मे [[पटना]] मे आ कर उन्होने वकालत शरू किया। 1959 मे उन्होने बार मे दाखिला लिया और [[पटना]] के बाद [[दिल्ली]] मे वकालत की। उन्होने वकालत के दौरान बड़ी तादात मे इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स, एक्सिस ड्यूटी और कस्टम संबंधी मामलो के अलावा सिविल कंपनी और वैवाहिक मुकदमे भी किये। 1978 मे वे [[दिल्ली उच्च न्यायालय]] की पहली महिला [[न्यायाधीश]] बनी और बाद मे 1991 मे [[हिमाचल प्रदेश]] की पहली महिला मुख्य [[न्यायाधीश]] नियुक्त की गई। महिलाओं के साथ भेद-भाव के मामले, संयुक्त परिवार मे लड़की को पिता की सम्पति का बराबर की हिस्सेदारी बनाने और पुलिस हिरासत मे हुई राजन पिलाई की मौत की जांच जैसे मामलो मे उनकी महतवपूर्ण भूमिका रही है।
1995 मे उन्होने पुलिस हिरासत मे हुई राजन पिलाई की मौत की जांच के लिये बनाई एक सदस्यीय आयोग की ज़िम्मेदारी संभाली। 1998 से 2000 तक वे भारतीय [[विधि आयोग]] की सदस्य रही और हिन्दू उतराधिकार कानून में संशोधन कराया जिसके तहत संयुक्त परिवार मे बेटियों को बराबर का अधिकार प्रदान किया गया। महत्वपूर्ण न्यायिक दायित्व के साथ साथ उन्होने घर परिवार की महत्वपूर्ण जिमेदारी भी सफलतापूर्वक निभाई। हाल ही मे उन्होने अपनी पुस्तक '''ऑन बैलेंस'''<ref>Seth, Leila. ''On Balance''.
== सन्दर्भ ==
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