छोटा नागपुर की पत्थारीलीपत्थरीली परतों के भूवैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि इसमें अतिप्राचीन [[गोंडवाना]] महाद्वीप की चट्टानें हैं, यानि इस पठार का विकास बहुत ही पुराना है। यह दख्खनदक्कन पठार का पूर्वोत्तरी खंड था जो दख्खनदक्कन तख़्ते के साथ-साथ गोंडवाना के खंडित होने पर आज से लगभग 12 करोड़ साल पहले अलग होकर 5 करोड़ वर्षों तक उत्तर दिशा में चलता रहा और फिर [[यूरेशिया]] से जा टकराया।<ref name=ecoregion>[http://www.eoearth.org/article/Chhota-Nagpur_dry_deciduous_forests Chhota-Nagpur dry deciduous forests], The Encyclopaedia of Earth, Accessed 2010-05-02</ref>
== अन्य विवरण ==
इस पठारी छेत्रक्षेत्र में [[कोयला]] का अकूत भंडार है जिससे [[दामोदर]] [[घाटी]] में बसे उद्योगों के [[उर्जा]] संबंधी आवश्यकतायें पूरी होती हैं। छोटानागपुर का पठार तीन छोटे छोटे पठारों से मिलकर बना है जिनमे [[राँची]] का [[पठार]], [[हजारीबाग]] का [[पठार]] और [[कोडरमा]] का पठार शामिल है। [[राँची पठार]] सबसे बड़ा पठार है जिसकी औसत ऊँचाई 700 मीटर है। पूरे छोटानागपुर पठार का क्षेत्रफल लगभग 65,000 वर्ग किलो मीटर है।
पठार का ज्यादातर हिस्सा घने जंगलों से आच्छादित है जिनमेजिनमें [[साल]] के वृक्षों की प्रमुखता है और इस क्षेत्र में [[वन]] कषेत्रक्षेत्र का प्रतिशत देश के अन्य हिस्सों की तुलना में ज्यादा है। इस पठार पर [[हाथी]] और [[बाघ]] के संरक्षण के लिये बनाये गये कई प्रमुख [[अभ्यारण्य]] स्थित हैं।