"कुंतक": अवतरणों में अंतर
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'''कुंतक''', [[अलंकारशास्त्र]] के एक मौलिक विचारक विद्वान् थे। ये [[अभिधा]]वादी आचार्य थे जिनकी दृष्टि में [[अभिधा शक्ति]] ही कवि के अभीष्ट अर्थ के द्योतन के लिए सर्वथा समर्थ होती है। इनका काल निश्चित रूप से ज्ञात नहीं हैं। किंतु विभिन्न अलंकार ग्रंथों के अंत:साक्ष्य के आधार पर समझा जाता है कि ये दसवीं शती ई. के आसपास हुए होंगे।
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