"संविदा निर्माण": अवतरणों में अंतर

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वह प्रत्येक वचन अथवा करार जो कानून द्वारा प्रवर्तनीय हो अथवा जिसका कानून द्वारा पालन कराया जा सके, '''संविदा''' (ठीका, अनुबंध, कान्ट्रैक्ट) कहलाता है। वर्तमान संविदा की विशेषता उसकी कानूनी मान्यता है।
 
 
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==भारत में संविदा==
यद्यपि अपने विभिन्न रूपों में संविदा का प्रचलन समाज के व्यावसायिक सम्बन्धों में था परन्तु "संविदा" शब्द का अन्वेषण बहुत बाद में हुआ। संविदा शब्द बहुत व्यापक है। संविदा के ही अंग विक्रय, ऋण, बंधक, निक्षेप (Bailment), साझेदारी, अभिकर्तृत्व (Agency), विवाह आदि भी हैं। परंतु अपने वर्तमान रूप में संविदा ने नया कानूनी अर्थ ग्रहण कर लिया है। भारतवर्ष में इसका अधिनियम सन् 1872 ई. में बना और संविदाओं का नियमन उसी [[भारतीय संविदा अधिनियम सन् 1872 ई. में बना और संविदाओं का नियमन उसी भारतीय संविदा अधिनियम]] (Indian Contract Act 1872) द्वारा होता है। इसलिये भारतीय न्यायालय अब संविदा के मामले में इसी लिखित कानून का अनुसरण करने को बाध्य हैं। व्यवस्थाओं की व्याख्या के लिये उन्हें इसी अधिनियम का अध्ययन करके उपयुक्त अर्थ और मंतव्य निकालना चाहिए। [[भारतीय संविदा अधिनियम]] ब्रिटिश संविदा कानून पर आधारित है परन्तु ब्रिटिश संविदा अधिनियम की सहायता तभी ली जा सकती है जब या तो भारतीय संविदा अधिनियम किसी प्रश्न पर मौन हो अथवा उसकी व्यवस्था अस्पष्ट हो और ब्रिटिश कानून भारतीय अवस्था और सामाजिक स्थिति से असंगत न हो।
 
 
==संविदा के आवश्यक तत्व==