"कला": अवतरणों में अंतर
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कला शब्द का प्रयोग शायद सबसे पहले [[भरतमुनि|भरत]] के "[[नाट्यशास्त्र]]" में ही मिलता है। पीछे [[वात्स्यायन]] और [[उशनस्]] ने क्रमश: अपने ग्रंथ "[[कामसूत्र]]" और "[[शुक्रनीति]]" में इसका वर्णन किया।
"[[कामसूत्र]]", "[[शुक्रनीति]]", जैन ग्रंथ "प्रबंधकोश", "कलाविलास",
[[यूरोपीय साहित्य]] में भी कला शब्द का प्रयोग शारीरिक या मानसिक कौशल के लिए ही अधिकतर हुआ है। वहाँ [[प्रकृति]] से कला का कार्य भिन्न माना गया है। कला का अर्थ है रचना करना अर्थात् वह [[कृत्रिम]] है। प्राकृतिक सृष्टि और कला दोनों भिन्न वस्तुएँ हैं। कला उस कार्य में है जो मनुष्य करता है। कला और [[विज्ञान]] में भी अंतर माना जाता है। [[विज्ञान]] में ज्ञान का प्राधान्य है, कला में कौशल का। कौशलपूर्ण मानवीय कार्य को कला की संज्ञा दी जाती है। कौशलविहीन या बेढब ढंग से किये गये कार्यों को कला में स्थान नहीं दिया जाता।
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