"सोवियत संघ": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
=== स्थापना ===
सोवियत संघ की स्थापना की प्रक्रिया १९१७1917 की रूसी क्रान्ति के साथ शुरू हुई जिसमें [[रूसी साम्राज्य]] के [[त्सार|ज़ार]] (सम्राट) को सत्ता से हटा दिया गया। [[व्लादिमीर लेनिन]] के नेतृत्व में [[बोल्शेविक पार्टी]] ने सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया लेकिन फ़ौरन ही वह बोल्शेविक-विरोधी श्वेत मोर्चे (<small>White movement</small>) के साथ [[गृह युद्ध]] में फँस गई। बोल्शेविकों की [[लाल सेना]] ने गृह युद्ध के दौरान ऐसे भी कई राज्यों पर क़ब्ज़ा कर लिया जिन्होनें त्सार के पतन का फ़ायदा उठाकर रूस से स्वतंत्रता घोषित कर दी थी। दिसम्बर १९२२1922 में बोल्शेविकों की पूर्ण जीत हुई और उन्होंने रूस, [[युक्रेन]], [[बेलारूस]] और [[कॉकस क्षेत्र]] को मिलकर सोवियत संघ की स्थापना का ऐलान कर दिया।<ref name="ref93zicip">[http://books.google.com/books?id=wm3w1oGCaEoC World and Its Peoples: Europe], pp. 1362, Marshall Cavendish, 2009, ISBN 978-0-7614-7900-0, ''... Resistance grew into civil war in which several different movements participated, but the Red Army and the anti-Soviet voluntary White Army were the main combatants ... The declaration of the creation of the Union of Soviet Socialist Republics (USSR, or Soviet Union) was signed on December 30, 1922 ...''</ref>
 
=== स्टालिन और द्वितीय विश्वयुद्ध ===
१९२४ में1924 लेनिन की मृत्यु हुई और [[जोसेफ़ स्टालिन]] सत्ता में आया। उसने सोवियत संघ में ज़बरदस्त औद्योगीकरण करवाया और केंद्रीय आर्थिक व्यवस्था बनाई। [[कृषि]] और अन्य व्यवसायों का सामूहिकीकरण किया गया, यानि खेत किसानों की निजी संपत्ति न होकर राष्ट्र की संपत्ति हो गए और उनपर किसानों के गुट सरकारी निर्देशों पर काम करने लगे। इसी केंद्रीकृत अर्थव्यवस्था को [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] में जंग लड़ने के लिए प्रयोग किया गया जिस से सोवियत संघ की जीत हुई। स्टालिन ने अपने शासनकाल में साम्यवादी पार्टी के बहुत से सदस्यों और नेताओं को अलग करके मरवाया और सोवियत संघ के कई समुदायों पर भी अत्याचार किया।
 
द्वितीय विश्वयुद्ध में शुरू में तो [[जर्मनी]] और सोवियत संघ में एक संधि थी जिसके अंतर्गत उन्होंने [[पोलैंड]] को आपस में बाँट लिया था और [[क्रॅसि]] इलाक़ा सोवियत संघ को मिल गया। लेकिन १९४१1941 में जर्मनी ने पलट कर सोवियत संघ पर हमला कर दिया। इस से सोवियत संघ [[मित्रपक्ष शक्तियों]] (ऐलाइड शक्तियों) के गुट में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] और [[ब्रिटेन]] का साथ हो गया और जर्मनी के विरुद्ध लड़ा। जर्मनी-सोवियत युद्ध बहुत ही भयंकर था और इसमें 2.1 करोड़ सोवियत लोगों की मृत्यु हुई। लेकिन अंत में सोवियत संघ विजयी हुआ और पूर्वी [[यूरोप]] के बहुत से देश (जैसे कि पोलैंड, [[हंगरी]], [[चेकोस्लोवेकिया]], [[रोमानिया]], [[बुल्गारिया]] और पूर्वी जर्मनी) पर उसका नियंत्रण हो गया।
 
=== शीत युद्ध ===
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[[पूर्वी यूरोप]] में अपने नियंत्रण के अधीन देशों के साथ सोवियत संघ ने एक साम्यवादी सैन्य [[मित्रपक्ष]] बनाया, जिसे [[वारसॉ संधि गुट]] (<small>Warsaw Pact</small>) के नाम से जाना जाता है। इसके विपक्ष अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों का गुट था। दोनों विपक्षियों के बीच [[शीत युद्ध]] जारी रहा जिसमें दोनों में सीधी लड़ाई तो कभी नहीं हुई, लेकिन दोनों परमाणु हथियारों और मिसाइलों से लैस हमेशा विध्वंसकारी परमाणु युद्ध छिड़ जाने की संभावना के साये में रहे।
 
[[स्टालिन]] की मृत्यु के बाद विभिन्न साम्यवादी नेताओं में सर्वोच्च नेता बनने की खींचातानी हुई और [[निकिता ख़्रुश्चेव​]] सत्ता में आये। उन्होंने स्टालिन की सबसे सख़्त​ तानाशाही नीतियों को पलट दिया। सोवियत संघ अंतरिक्ष अनुसंधान में सबसे आगे निकल गया। १९५७ में1957में उसने विश्व का सबसे पहला कृत्रिम उपग्रह [[स्पुतनिक]] पृथ्वी के इर्द-गिर्द [[कक्षा (भौतिकी)|कक्षा]] में पहुँचाया। १९६१1961 में सोवियत वायु-सैनिक [[यूरी गगारिन]] पृथ्वी से ऊपर अंतरिक्ष में पहुँचने वाला सबसे पहला मानव बना। १९६२1962 में [[क्यूबाई मिसाइल संकट]] में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच बहुत गंभीर तनाव बना और वे परमाणु प्रलय की दहलीज़ पर पहुँच गए, लेकिन किसी तरह यह संकट टल गया। १९७०1970 के दशक में सोवियत-अमेरिकी संबंधों में तनाव कम हुआ लेकिन १९७९1979 में जब सोवियत संघ ने [[अफ़्ग़ानिस्तान]] में हस्तक्षेप करते हुए वहाँ अपनी फ़ौज भेजी तो सम्बन्ध बहुत बिगड़ गए।
 
=== सोवियत संघ का अंत ===
अफ़्ग़ानिस्तान में सोवियत नियंत्रण के खिलाफ़ उपद्रव और गृह युद्ध लगातार जारी रहे और आख़िरकर १९८९1989 में सोवियत फौजें वहाँ से बिना अपना ध्येय पूरा किये लौट आई। देश में आर्थिक कठिनाइयाँ बनी रहीं और विदेशी संबधों में भी पेचीदगियाँ रहीं। अंतिम सोवियत नेता [[मिख़ाइल गोरबाचोफ़​]] ने देश में ग्लास्नोस्त (<small>glasnost</small>) नामक राजनैतिक खुलेपन की नई नीति और पेरेस्त्रोइका (<small>perestroika</small>) नामक आर्थिक ढाँचे को बदलने की नीति के अंतर्गत सुधार करने की कोशिश की लेकिन विफल रहे। दिसम्बर १९९१1991 में उनकी विचारधारा के विरुद्ध राज्यविप्लव (<small>coup d'état</small>) की कोशिश हुई लेकिन वह कुचली गई। इस घटना के बाद सोवियत संघ टूट गया और उसके १५ गणतंत्र15गणतंत्र सभी स्वतन्त्र देशों के रूप में उभरे। अंतर्राष्ट्रीय संधियों में [[रूस]] को सोवियत संघ के वारिस देश की मान्यता दी गई।
 
== इन्हें भी देखें ==