"विष्णु पुराण": अवतरणों में अंतर

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== कथा एवं विस्तार ==
[[चित्र:Vishnu.jpg|thumb|right|500px|भगवान विष्णु]]
;[[विस्तार]]
:इस पुराण में इस समय सात हजार [[श्लोक]] उपलब्ध हैं। वैसे कई ग्रन्थों में इसकी [[श्लोक]] संख्या तेईस हजार बताई जाती है।<ref>[http://hi.brajdiscovery.org/index.php?title=%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A5%81_%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3 ब्रज डिस्कवरी]</ref> '''विष्णु पुराण''' में पुराणों के पांचों लक्षणों अथवा वर्ण्य-विषयों-सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर और वंशानुचरित का वर्णन है। सभी विषयों का सानुपातिक उल्लेख किया गया है। बीच-बीच में अध्यात्म-विवेचन, कलिकर्म और सदाचार आदि पर भी प्रकाश डाला गया है।