"मनोविज्ञान": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
प्राक्-वैज्ञानिक काल (pre-scientific period) में मनोविज्ञान, [[दर्शनशास्त्र]] (Philosophy) का एक शाखा था। जब [[विल्हेल्म वुण्ट]] (Wilhelm Wundt) ने १८७९ में मनोविज्ञान की पहला प्रयोगशाला खोला, मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र के चंगुल से निकलकर एक स्वतंत्र विज्ञान का दर्जा पा सकने में समर्थ हो सका।
 
=== मनोविज्ञान पर दर्शनशास्त्र का प्रभाव ===
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आधुनिक मनोविज्ञान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में इसके दो सुनिश्चित रूप दृष्टिगोचर होते हैं। एक तो वैज्ञानिक अनुसंधानों तथा आविष्कारों द्वारा प्रभावित वैज्ञानिक मनोविज्ञान तथा दूसरा दर्शनशास्त्र द्वारा प्रभावित दर्शन मनोविज्ञान। वैज्ञानिक मनोविज्ञान 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से आरंभ हुआ है। सन् 1860 ई में फेक्नर (1801-1887) ने जर्मन भाषा में "एलिमेंट्स आव साइकोफ़िज़िक्स" (इसका अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध है) नामक पुस्तक प्रकाशित की, जिसमें कि उन्होंने मनोवैज्ञानिक समस्याओं को वैज्ञानिक पद्धति के परिवेश में अध्ययन करने की तीन विशेष प्रणालियों का विधिवत् वर्णन किया : मध्य त्रुटि विधि, न्यूनतम परिवर्तन विधि तथा स्थिर उत्तेजक भेद विधि। आज भी मनोवैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में इन्हीं प्रणालियों के आधार पर अनेक महत्वपूर्ण अनुसंधान किए जाते हैं।
 
वैज्ञानिक मनोविज्ञान में फेक्नर के बाद दो अन्य महत्वपूर्ण नाम है : हेल्मोलत्स (1821-1894) तथा [[विल्हेम वुण्ट]] (1832-1920) हेल्मोलत्स ने अनेक प्रयोगों द्वारा दृष्टीर्द्रिय विषयक महत्वपूर्ण नियमों का प्रतिपादन किया। इस संदर्भ में उन्होंने [[प्रत्यक्षीकरण]] पर अनुसंधान कार्य द्वारा मनोविज्ञान का वैज्ञानिक अस्तित्व ऊपर उठाया। वुंट का नाम मनोविज्ञान में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने सन् 1879 ई में [[लाइपज़िग विश्वविद्यालय]] (जर्मनी) में मनोविज्ञान की प्रथम [[प्रयोगशाला]] स्थापित की।<ref>Schacter, D. L.; Gilbert, D. T. and Wegner, D. M. (2010). Psychology. 2nd Edition. Worth Publishers. ISBN 1429269677</ref> मनोविज्ञान का औपचारिक रूप परिभाषित किया। लाइपज़िग की प्रयोगशाला में वुंट तथा उनके सहयोगियों ने मनोविज्ञान की विभिन्न समस्याओं पर उल्लेखनीय प्रयोग किए, जिसमें समय-अभिक्रिया विषयक प्रयोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
 
[[क्रियाविज्ञान]] के विद्वान् हेरिंग (1834-1918), [[भौतिकी]] के विद्वान् मैख (1838-1916) तथा जी ई म्यूलर (1850 से 1934) के नाम भी उल्लेखनीय हैं। हेरिंग घटना-क्रिया-विज्ञान के प्रमुख प्रवर्तकों में से थे और इस प्रवृत्ति का मनोविज्ञान पर प्रभाव डालने का काफी श्रेय उन्हें दिया जा सकता है। मैख ने शारीरिक परिभ्रमण के प्रत्यक्षीकरण पर अत्यंत प्रभावशाली प्रयोगात्मक अनुसंधान किए। उन्होंने साथ ही साथ आधुनिक प्रत्यक्षवाद की बुनियाद भी डाली। [[जी ई म्यूलर]] वास्तव में दर्शन तथा इतिहास के विद्यार्थी थे किंतु फेक्नर के साथ पत्रव्यवहार के फलस्वरूप उनका ध्यान मनोदैहिक समस्याओं की ओर गया। उन्होंने स्मृति तथा दृष्टींद्रिय के क्षेत्र में मनोदैहिकी विधियों द्वारा अनुसंधान कार्य किया। इसी संदर्भ में उन्होंने "जास्ट नियम" का भी पता लगाया अर्थात् अगर समान शक्ति के दो साहचर्य हों तो दुहराने के फलस्वरूप पुराना साहचर्य नए की अपेक्षा अधिक दृढ़ हो जाएगा ("[[जास्ट नियम]]" म्यूलर के एक विद्यार्थी एडाल्फ जास्ट के नाम पर है)।
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'''[[विकास मनोविज्ञान]]''' में जीवन भर घटित होनेवाले मनोवैज्ञानिक संज्ञानात्मक तथा सामाजिक घटनाक्रम शामिल हैं। इसमें शैशवावस्था, बाल्यावस्था तथा किशोरावस्था के दौरान व्यवहार या वयस्क से वृद्धावस्था तक होने वाले परिवर्तन का अध्ययन होता है। पहले इसे [[बाल मनोविज्ञान]] भी कहते थे।
 
'''[[आपराधिक मनोविज्ञान]]''' चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है, जहां अपराधियों के व्यवहार विशेष के संबंध में कार्य किया जाता है। [[अपराध शास्त्र]], मनोविज्ञान आपराधिक विज्ञान की शाखा है, जो [[अपराध]] तथा संबंधित तथ्यों की तहकीकात से जुड़ी है।
 
[[पशु मनोविज्ञान]] एक अद्भुत शाखा है।
 
मनोविज्ञान की प्रमुख शाखाएँ हैं -
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* [[योग मनोविज्ञान]] (Yoga Psychology)
 
== मनोविज्ञान का स्वरूप एवं कार्यक्षेत्र ((Nature and Scope of Psychology) ==
मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र (scope) को सही ढंग से समझने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण श्रेणी वह श्रेणी है जिससे यह पता चलता है कि मनोविज्ञानी क्या चाहते हैं ? किये गये कार्य के आधार पर मनोविज्ञानियों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है:
* पहली श्रेणी में उन मनोविज्ञानियों को रखा जाता है जो शिक्षण कार्य में व्यस्त हैं,