"विशेषज्ञ की राय": अवतरणों में अंतर

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'''विशेषज्ञ की राय''' उसी व्यक्ति के द्वारा अभिव्यक्त की जाती है जिसके पास अपने क्षेत्र से जुड़ा विशेष ज्ञान हो। विशेषज्ञ द्वारा राय दिए जाने के बाद उस राय को साधारण व्यक्ति नहीं बदल सकता। विशेषज्ञ को अपने निष्कर्ष साबित करने के लिए वैज्ञानिक मापदंड की आवश्यकता पड़ती है, जिससे वह अपनी बात की सच्चाई साबित कर सकता है।<ref> Snow, J.N., & Weed, R. (1997). Mental health forensic issues in Georgia: The role of the expert witness. Georgia Journal of Professional Counselors, 53-65.</ref> ऐसी प्रमाणित बातों को आधार बनाकर [[न्यायालय]] अपना निर्णय किसी के पक्ष में कर सकती है तथा किसी दंडित कर सकता है । न्यायालय ही यह सुनिश्चित करता है की विशेषज्ञ द्वारा दिया गया प्रमाण माननीय है या नहीं।<ref>Cullen, Pamela V., "A Stranger in Blood: The Case Files on Dr John Bodkin Adams", London, Elliott & Thompson, 2006, ISBN 1-904027-19-9</ref> न्यायालय के अलावा विशेषज्ञ के फैसले पर उसी क्षेत्र के विशेषज्ञ ही माननीय रूप से भिन्न मत व्यक्त कर सकते हैं।
 
==विशेषज्ञ की गवाह के रूप में भूमिका==
# आम तौर पर विशेषज्ञ को चोट की गंभीरता, अपराध की स्थिति और आघात को देखकर ही बुलाया जाता है। विशेषज्ञ के बयान से ही निष्कर्ष निकाला जाता है कि सही स्थिति क्या है और दोषी कौन है।
# कभी-कभी न्यायाधिकरण और पञ्च अपने फैसले का मूल्यांकन करने के लिए भी [[विशेषज्ञ]] की राय लेते है ताकि यह तय हो कि उनके द्वारा किए गए फ़ैसले का कोई पहलू [[अनदेखा]] न रह गया हो।<ref> Federal Rules of Evidence - 2011 | Federal Evidence Review</ref>
# विशेषज्ञ के कई दायित्व होते हैं, खास तौर पर दांडिक [[परिक्षण]] में और जूठे साक्ष्य साबित करने में। ऐसे ही जूठे साक्ष्य को गलत साबित करके विशेषज्ञ गुनाह साबित करने में परम भूमिका निभाते हैं।
# विशेषज्ञ पूरी तरह से निष्पक्ष होकर अपनी गवाही देते हैं और बिना किसी और की सहायता लिए दोषी व्यक्ति का जुर्म साबित करते हैं।
==सन्दर्भ==