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'''पं. दौलतराम''' [[जयपुर]] की तेरहपंथ शैली में एक समादृत विद्वान थे। उन्होने वि.सं.वि॰सं॰ १८२३ में 'पद्मपुराण' नामक हिन्दी ग्रन्थ की रचना की जो [[पद्मपुराण]] के मूलश्लोकों का यह अनुवाद है। वे आधुनिक [[मानक हिन्दी]] के आरम्भिक साहित्यकारों में गिने जाते हैं।
 
[[श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार]]