"राव जोधा": अवतरणों में अंतर
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== इतिहास ==
मेवाड़ का शासन कार्य भी इनकी सहमति से चलता था अतः मेवाड़ के कुछ सरदार इनसे अप्रसन थे और इन्होने मेवाड़ नरेश [[महाराणा कुम्भा]] व उनकी माता सोभाग्य देवी को राव रिदमल जी के विरुध बहका दिया |
वसुन्धरा वीरा रि वधु, वीर तीको ही बिन्द |
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रण खेती राजपूत रि, वीर न भूले बाल ||
वीर साहसी व पराक्रमी राव जोधा ने मारवाड़ राज्य को पुनः विजय करने हेतु निरंतर संघर्ष जरी रखा और अंत में अपने भाईयों के सक्रिए सहयोग से [[मंडोर]], कोसना व चौकड़ी पर विजय ध्वज लहराकर मारवाड़ में पुनः राठौर राज्य
राव जोधा ने अपने भाईयों व पुत्रों के सहयोग से अपने राज्य को [[मंडोर]],[[मेड़ता]], फलोदी,[[पोकरण]], भाद्रजुन,[[सोजत]],[[पाली]], सिवाना,[[साम्भर]],[[अजमेर]],[[नागौर]],[[डीडवाना]] तक बड़ा कर एक विशाल राठौर राज्य स्थापित कर दिया |
इनके वीर पुत्रों में दुदोजी ने मेड़ता, बिकाजी ने [[जांगलदेश|जाग्लुदेश]] (बीकानेर) व बिदाजी ने छापर विजय कर अलग अलग स्व्तांतर राठोड़ राज्यों की स्थापना की |मंडोर को असुरक्षित समझ कर जेस्ठ शुक्ला 11 शनिवार
== इन्हें भी देखें ==
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