"राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, भोपाल": अवतरणों में अंतर

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सन्दर्भ
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==इतिहास==
भारत में सर्वप्रथम [[दिल्ली]] से [[राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली|राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान]] की प्रवृत्ति का प्रारंभ संस्कृत के विकास और प्रचार-प्रसार हेतु तथा संस्कृत से सम्बद्ध केन्द्र सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के उद्देश्य से 15 अक्टूबर, 1970 को एक स्वायत्त संगठन के रूप में हुआ। भोपालपरिसर को स्थापित करने के लिए तात्कालीन केन्द्रीय मन्त्री डा. मुरली मनोहर जोशी, मानव संसाधन विकास मन्त्रालय भारत सरकार ने पत्र क्रमाङ्क संस्कृत-1- सैक्सन दिनाङ्क 31 मार्च 2002 के द्वारा स्थापना आदेशपत्र निर्गत किया था। उक्त शासनादेश को क्रियान्वित करने के लिए रा. सं. सं. नई दिल्ली ने पत्र क्रमाङ्क-37021/2002-admin/1108 कार्यालय आदेश संख्या 107 / दिनाङ्क 05.06.2002 के द्वारा एतदर्थ प्राचार्य आदि विभाग उपलब्ध कराकर 1 जुलाई 2002 से भोपाल परिसर को क्रियाशील किया था। इस तिथि से प्रायः दस वर्ष पूर्व ही 1991-92 में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मन्त्री अर्जुन सिंह की घोषणा से भोपाल परिसर के स्थापना की योजना प्रकल्पित हुई थी और उसी समय [[मध्यप्रदेश]] शासन ने पत्र क्रमाङ्क -एफ 6730/शास. /सा.-2बी/93 दिनाङ्क 27.05.1993/20.07.1993 के शासनादेश के द्वारा इस परिसर के विकास के लिए 10 एकड़ भूमि निःशुल्क आवंटित की थी। इस प्रकार भोपाल में 6 जुलाई 2002 से बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के अतिथि गृह के कक्ष में भोपाल परिसर की गतिविधि प्रारम्भ होने पर 02 अगस्त 2002 को अरेरा कॉलोनी में भाटक भवन प्राप्त करके उसमें छात्रों के प्रवेश एवं शिक्षण की गतिविधि प्रारम्भ हुई। दिनाङ्क 16 सितम्बर 2002 को भोपाल परिसर में औपचारिक उद्घाटन किया गया। दिनाङ्क 27.02.2003 को आवंटित भूखण्ड पर परिसराधार शिलान्यास मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमन्त्री दिग्विजय सिंह के हाथों हुआ था। दिनाङ्क 19 सितम्बर 2005 को शैक्षिक एवं प्रशासनिक मुख्य भवन का शिलान्यास तत्कालीन मानव संसाधन विकास मन्त्री अर्जुन सिंह के हाथों सम्पन्न हुआ था।
<ref>{{cite web|title=अधिकारिक जालस्थल पर जानकारी|url=http://rsksbhopal.ac.in/aboutushindi.html|website=राष्ट्रिय संस्कृत संस्थानम्|accessdate=१८ जनवरी २०१७}}</ref>
 
==सन्दर्भ==
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