"भारतीय परिषद अधिनियम १९०९": अवतरणों में अंतर

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== मॉर्ले-मिंटो सुधार ==
 उदार दल के भारत सचिवजॉन मॉर्ले एवं रूढ़िवादी दल के  [[Viceroy of India|भारत के वायसराय]], गिल्बर्ट इलियट-मरे-कैनिनमाउंड, 4 अर्ल ऑफ मिंटो, का मत था कि लॉर्ड कर्ज़न के बंगाल विभाजन से उपजे असंतोष को दबाना जरूरी था लेकिन ब्रिटिश राज के स्थायित्व के लिए दमन ही पर्याप्त नहीं था ।था। उनका स्पष्ट मत था कि भारत के वफादार संभ्रांत  वर्ग और समाज के संवर्धनशील पश्चिमीकृत वर्ग  को एक नाटकीय कदम उठा कर संतुष्ट करना बेहद आवश्यक था। 
 
इस तरह उन्होंने भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मॉर्ले-मिंटो सुधारों) को प्रस्तुत किया . भारतीय राष्ट्री कांग्रेस कि मुख्य मांग थी "'''स्वशासी ब्रिटिश कॉलोनियों की भांति सरकार की व्यवस्था'''" लेकिन इस मांग को मानने कि इस अधिनियम में कोई इच्छा नहीं दिखाई गयी।