"चिंपैंजी": अवतरणों में अंतर
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* [[बोनोबो]], ''पैन पैनिस्कस'' ([[कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य|कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य]] के जंगलों में)
चिंपैंजी; [[गोरिल्ला]], [[मनुष्य|मानव]] और ओरांगउटान के साथ
== विकासवादी इतिहास ==
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{{Further|[[Ape#History of hominoid taxonomy|History of hominoid taxonomy]]}}
[[चित्र:Hominoid taxonomy 7.svg|thumb|होमिनोइडे के टेक्सोनोमिक संबंध]]
''पैन'' जीनस को होमिनिनी उप-परिवार का हिस्सा माना जाता है जिससे [[मनुष्य|मनुष्यों]] का संबंध है। ये दो प्रजातियाँ मनुष्यों की सबसे करीबी जीवित [[क्रम-विकास|विकासवादी]] संबंधी हैं तथा साठ लाख (छः मिलियन) वर्ष पहले [[मनुष्य|मनुष्यों]] और इनके पूर्वज एक ही थे।<ref>{{Cite web|url=http://news.mongabay.com/2005/0831a-nih.html |title=Chimps and Humans Very Similar at the DNA Level |publisher=News.mongabay.com |date= |accessdate=2009-06-06}}</ref> 1973 में मैरी-क्लेयर किंग की शोध में मनुष्यों और चिम्पान्जियों के बीच 99% एक सामान [[डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल|डीएनए]] पाए गए,<ref>
=== जीवाश्म ===
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== शारीरिक रचना और शरीर विज्ञान (एनाटोमी और फीजियोलॉजी) ==
आम नर चिम्प की ऊँचाई खड़े होने पर {{convert|1.7|m|ft}} तक होती है और इसका वजन अधिक से अधिक {{convert|70|kg|lb}} होता है; मादा चिम्पांजी कुछ छोटी होती है। आम चिम्प के लंबे हाथ फैलाए जाने पर शरीर की ऊँचाई से अधिक से अधिक डेढ़ गुना अधिक होते हैं और चिम्पांजी के हाथ इसके पैरों से लम्बे होते हैं।<ref>
चिम्पांजी के [[अंडकोष]] उसके शरीर के आकार के हिसाब से असामान्य तौर पर बड़े होते हैं जिनका संयुक्त वजन एक गोरिल्ला के अंडकोष {{convert|1|oz}} या एक मानव अंडकोष {{convert|1.5|oz}} की तुलना में लगभग {{convert|4|oz}} होता है। इसके लिए आम तौर पर चिम्पांजी के संभोग संबंधी आचरण की बहुपतीत्व (पोलीएंड्रस) प्रकृति के कारण होने वाली शुक्राणु की प्रतिस्पर्धा जिम्मेदार है।<ref name="rat_behavior">
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=== सामाजिक संरचना ===
चिम्पांजी, अनेक नर और मादा वाले सामाजिक समूहों में रहते हैं जिन्हें समुदाय कहा जाता है। समुदाय के भीतर एक निश्चित सामाजिक पदानुक्रम होता है जो एक सदस्य की सामाजिक स्थिति और दूसरों पर उसके प्रभाव से निर्धारित होता है। चिम्पांजी एक निम्न (लीनर) पदानुक्रम में रहते हैं जिसमें एक से अधिक सदस्य इतने प्रभावी हो सकते हैं कि वे कम रैंक वाले अन्य सदस्यों पर अपना दबदबा कायम कर सकें. आम तौर पर इसमें एक प्रभावशाली नर सदस्य होता है जिसे अल्फा मेल के रूप में जाना जाता है। अल्फा मेल सर्वोच्च-रैंकिंग वाला नर सदस्य होता है जो समूह पर नियंत्रण रखता है और किसी भी विवाद के दौरान व्यवस्था को बनाए रखता है। चिम्पांजी समाज में 'प्रमुख नर' हमेशा सबसे बड़ा या सबसे ताकतवर नर नहीं होता है बल्कि यह सदस्य सबसे अधिक जोड़-तोड़ करने वाला और राजनीतिक नर होता है जो एक समूह के भीतर चल रही गतिविधियों को प्रभावित कर
मादा चिम्पांजी भी एक पदानुक्रम रखती हैं जो किसी समूह के भीतर एक मादा की व्यक्तिगत स्थिति से प्रभावित होता है। कुछ चिम्पांजी समुदायों में युवा मादाएं एक उच्च-श्रेणी की माँ से विरासत के तौर पर अपनी उच्च सामाजिक स्थिति हासिल कर सकती है। मादाएं भी निचले-क्रम की मादाओं पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए नए मित्र बनाती हैं। नरों के विपरीत जिनका वर्चस्व का दर्जा हासिल करने का मुख्य प्रयोजन यौन संबंधों में विशेषाधिकार प्राप्त करना और कभी-कभी अपने अधीनस्थों पर हिंसक प्रभाव दिखाना होता है, मादाएं भोजन जैसे संसाधनों को प्राप्त करने के लिए वर्चस्व का दर्जा हासिल करती हैं। उच्च-श्रेणी की मादाओं को अक्सर संसाधनों तक पहली पहुँच हासिल होती है। आम तौर पर नर और मादाएं दोनों एक समूह के भीतर सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए प्रभावशाली दर्जा हासिल करते हैं।
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हाल के अध्ययनों से पता चला है कि चिम्पांजी समूहों के भीतर जाहिर तौर पर [[पर्यायवाद|परोपकारी]] व्यवहार में संलग्न होते हैं,<ref>{{Cite web|url=http://www.sciencedaily.com/releases/2007/06/070625085134.htm |title=Human-like Altruism Shown In Chimpanzees |accessdate=2007-08-11 |date= 2007-06-25|work=Science Daily }}</ref><ref>{{Cite journal|last=Bradley |first=Brenda |authorlink= |coauthors= |year=1999 |month=June |title=Levels of Selection, Altruism, and Primate Behavior |journal=The Quarterly Review of Biology |volume=74 |issue=2 |pages=171–194|url= |accessdate= 2007-08-11 |quote= |doi=10.1086/393070 |pmid=10412224 }}</ref> लेकिन ये असंबंधित समूह के सदस्यों की भलाई के प्रति उदासीन रहते हैं।<ref name="Chimpanzees are indifferent to the welfare of unrelated group members">{{Cite web|author=Nature |url=http://www.nature.com/nature/journal/v437/n7063/full/nature04243.html |title=Nature 437, 1357–1359 (27 अक्टूबर 2005) |doi=10.1038/nature04243 |publisher=Nature.com |date= |accessdate=2009-06-06}}</ref>
"चिम्पांजी के अध्यात्म" के साक्ष्यों में शामिल हैं शोक का प्रदर्शन, "प्रारंभिक रोमांटिक प्यार", "वर्षा नृत्य", प्राकृतिक सौन्दर्य की सराहना जैसे कि किसी झील के ऊपर सूर्यास्त का दृश्य, वन्यजीव के प्रति जिज्ञासा और आदर भाव (जैसे कि [[अजगर]], जो चिम्पान्जियों के लिए ना तो कोई खतरा है और ना ही भोजन का स्रोत), अन्य प्रजातियों के प्रति समानुभूति (जैसे कि कछुओं को खिलाना) और यहाँ तक कि बच्चों को खिलाते समय [[सर्वात्मवाद|"एनिमिज्म (नाटक)"]] का प्रदर्शन.<ref>
==== संवाद ====
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वैज्ञानिक लंबे समय से भाषा के अध्ययन के प्रति इस विश्वास के साथ आकर्षित होते हैं कि यह एक अद्वितीय मानव संज्ञानात्मक क्षमता है। इस परिकल्पना का परीक्षण करने के लिए वैज्ञानिकों ने विशालकाय वानरों की कई प्रजातियों को मानवीय भाषा सिखाने का प्रयास किया है। 1960 के दशक में एलन और बीट्रिस गार्डनर द्वारा की गयी एक शुरुआती कोशिश में वाशू नामक एक चिम्पांजी को अमेरिकी सांकेतिक भाषा सिखाने के लिए 51 महीने का समय बिताना शामिल था। गार्डनर ने बताया कि वाशू ने 151 संकेतों को सीख लिया था और यह कि उसने तत्काल इन्हें अन्य चिम्पान्जियों को सिखा दिया था।<ref>{{Cite journal| author = Gardner, R. A., Gardner, B. T. | year = 1969 | title = Teaching Sign Language to a Chimpanzee | journal = Science | volume = 165 | pages = 664–672 | doi = 10.1126/science.165.3894.664 | pmid = 5793972 | issue = 894}}</ref> एक लंबी अवधि के बाद वाशू ने 800 से अधिक संकेतों को सीख लिया था।<ref>{{Cite book| author = Allen, G. R., Gardner, B. T. | year = 1980 | chapter = Comparative psychology and language acquisition | editor = Thomas A. Sebok and Jean-Umiker-Sebok (eds.) | title = Speaking of Apes: A Critical Anthology of Two-Way Communication with Man | location = New York | publisher = Plenum Press | pages = 287–329}}</ref>
कुछ वैज्ञानिकों, विशेषकर [[नोआम चाम्सकी|नोम चोमस्की]] और डेविड प्रिमैक के बीच गैर-मानव विशालकाय वानरों की भाषा सीखने की क्षमता के बारे में लगातार बहस चल रही है। वाशू पर शुरुआती रिपोर्ट के बाद कई अन्य अध्ययनों को विभिन्न स्तरों की सफलता प्राप्त हुई है,<ref>
==== स्मरण शक्ति ====
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[[चित्र:Adult male chimps in mahale.jpg|thumb|left|तंजानिया के महाले नेशनल पार्क में नर चिम्पांजी]]
आम वयस्क चिम्पांजी विशेष रूप से नर बहुत ही आक्रामक हो सकते हैं। ये अपने क्षेत्र के प्रति अति संवेदनशील होते हैं और अन्य चिम्पांजियों को जान से भी मार सकते हैं।<ref>{{Cite news|last=Walsh |first=Bryan |url=http://www.time.com/time/health/article/0,8599,1880229,00.html |title=Why the Stamford Chimp Attacked |publisher=TIME |date=2009-02-18 |accessdate=2009-06-06}}</ref> चिम्पांजी निम्न श्रेणी के प्राइमेट्स जैसे कि रेड कोलोबस<ref name="chimpanzee predation on the red colobus">{{Cite web|url=http://www.springerlink.com/content/f78767667u462588/ |title=Primates Volume 49, Number 1 / January, 2008 p41-49 |doi=10.1007/s10329-007-0062-1 |publisher=Springerlink.com |date= |accessdate=2009-06-06}}</ref> और बुश बेबीज<ref name="Spear-Wielding Chimps Seen Hunting Bush Babies">{{Cite web|url=http://www.sciencemag.org/cgi/content/full/315/5815/1063 |title=Science 23 फ़रवरी 2007: Vol. 315. no. 5815, p. 1063 |publisher=Sciencemag.org |date=2007-02-23 |accessdate=2009-06-06}}</ref><ref name="Pan troglodytes verus, Hunt with Tools">{{Cite web|url=http://www.sciencedirect.com/science?_ob=ArticleURL&_udi=B6VRT-4N3XDTT-1&_user=10&_rdoc=1&_fmt=&_orig=search&_sort=d&view=c&_acct=C000050221&_version=1&_urlVersion=0&_userid=10&md5=3e71833d8e3c5f228535010f7b7d72d7 |title=Current Biology Volume 17, Issue 5, 6 मार्च 2007, Pages 412-417 |doi=10.1016/j.cub.2006.12.042 |publisher=Sciencedirect.com |date= |accessdate=2009-06-06}}</ref> का लक्ष्य बनाकर शिकार करने में भी संलग्न रहते हैं और इन शिकारों से प्राप्त माँस का इस्तेमाल अपने समुदाय के बीच "सोशल टूल" के रूप में करते हैं।<ref name="meat is frequently used as a social tool">{{Cite web|url=http://www.pubmedcentral.nih.gov/articlerender.fcgi?tool=pubmed&pubmedid=17849015 |title=PLoS ONE. 2007; 2(9): e886 |doi=10.1371/journal.pone.0000886 |publisher=Pubmedcentral.nih.gov |date= |accessdate=2009-06-06}}</ref> फ़रवरी 2009 में एक ऐसी घटना के बाद जिसमें ट्रैविस नामक एक पालतू चिम्प ने स्टैन्फ़ोर्ड, कनेक्टिकट में एक मादा पर हमला किया था और उसे विकृत कर दिया था, जिसके बाद अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने संयुक्त राज्य अमेरिका में आदिम पालतू जानवरों पर प्रतिबंध को मंजूरी दी थी।<ref>
http://www.stamfordadvocate.com/ci_11778339</ref>
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हालांकि “चिम्पांजी” नाम का पहला प्रयोग 1738 तक नहीं देखा गया था। यह नाम शिलूबा भाषा के शब्द "किविली-चिम्पेन्जे" से लिया गया है जो इस जानवर का स्थानीय नाम है और इसका साधारण अनुवाद "मॉकमैन" या सम्भवतः सिर्फ़ "वानर" है। भाषा विज्ञान में "''चिम्प'' " को काफ़ी हद तक 1870 के दशक के अंत में किसी समय शामिल किया गया था।<ref>{{Cite web|url=http://dictionary.reference.com/browse/chimp |title=chimp definition | Dictionary.com |publisher=Dictionary.reference.com |date= |accessdate=2009-06-06}}</ref> जीव विज्ञानियों ने ''पैन'' को इस जानवर के जीनस नाम रूप में रखा है। चिम्पांजियों तथा अन्य वानरों के बारे में कथित रूप से प्राचीन काल के पश्चिमी लेखकों को ज्ञात था; लेकिन उनकी यह जानकारी मुख्यतः यूरोपीय यात्रियों के खंडित वर्णनों से उपजे यूरोपीय और अरब समाज के मिथकों या किंवदंतियों पर ही आधारित थी। वानरों का उल्लेख [[अरस्तु|अरस्तू]] और अंग्रेजी [[बाइबिल|बाइबल]] में भी कई जगह किया गया है जहाँ इन्हें सोलोमन द्वारा एकत्र किये जाने के रूप में वर्णित किया गया है। (1 किंग्स 10:22. हालांकि हिब्रू शब्द ''qőf'' का मतलब वानर हो सकता है). [[कुर॑आन|कुरान]] में भी वानरों का उल्लेख किया गया है (7:166), जहाँ ''शब्बत'' का उल्लंघन करने वाले इजरायलियों से अल्लाह कहते हैं "बी ये एप्स".
इन प्रारम्भिक अंतरमहाद्वीपीय चिम्पांजियों में से पहला अंगोला से आया था और उसे 1640 में ओरेंज के राजकुमार फ़्रेडरिक हेनरी को उपहार स्वरूप भेंट किया गया था और अगले कई सालों तक इसके भाई-बंधुओं द्वारा इस सिलसिले का अनुसरण किया गया था। वैज्ञानिकों ने इन पहले चिम्पांजियों का वर्णन "[[पिग्मी|पिग्मीज]]" के रूप में किया और मनुष्य के साथ इनकी गहरी समानता पर ध्यान
[[चित्र:HugoRheinholdApeWithSkull.DarwinMonkey.2.jpg|thumb|left|100px|ह्यूगो रीन्होल्ड की 'एफे मिट शाडेल ("दिमाग वाला वानर"), 19 वीं सदी के अंत में चिम्पांजियों को किस प्रकार देखा जाता था उसका एक उदाहरण है।]]
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[[चित्र:Lightmatter chimp.jpg|thumb|right|लॉस एंजिल्स चिड़ियाघर में चिम्पांजी]]
20वीं सदी में चिम्पांजी व्यवहार में वैज्ञानिक शोध के एक नए अध्याय का शुभारंभ हुआ। 1960 से पहले चिम्पांजी के अपने प्राकृतिक आवास में उसके व्यवहार के बारे में लगभग कोई भी जानकारी नहीं थी। उसी साल जुलाई में जेन गुडऑल [[तंज़ानिया|तंजानिया]] के गोम्बे वन में चिम्पांजियों के बीच रहने के लिये चली गयीं जहाँ उन्होंने प्राथमिक रूप से कासाकेला चिम्पांजी समुदाय के सदस्यों पर अध्ययन किया। उनकी यह खोज धमाकेदार थी कि चिम्पांजी अपने औजार स्वयं बनाते थे और उनका उपयोग करते थे, क्योंकि पहले यह माना जाता था कि ऐसा करने वाली एकमात्र प्रजाति मानव है। चिम्पांजियों पर सबसे अधिक प्रगतिशील प्रारंभिक अध्ययन वोल्फ़गैंग कोहलर और राबर्ट यर्केस द्वारा किये गये थे, दोनों ही प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक थे। दोनों वैज्ञानिकों और उनके साथियों ने चिम्पांजियों की सीखने, विशेषकर समस्या को सुलझाने की बौद्धिक क्षमता के बारे में अध्ययन पर खास तौर से ध्यान केंद्रित करने वाले चिम्पांजियों के प्रयोगशाला अध्ययनों को निर्धारित किया। इसमें प्रयोगशाला के चिम्पांजियों पर विशेष रूप से बुनियादी, व्यावहारिक परीक्षणों को शामिल किया गया था जिसके लिये साफ़ तौर पर एक उच्च स्तरीय बौद्धिक क्षमता (जैसे कि पहुँच से दूर मौजूद केले को हासिल करने की समस्या का समाधान कैसे करें) की आवश्यकता थी। उल्लेखनीय रूप से यर्केस ने जंगलों में चिम्पांजियों पर विस्तारित परीक्षण किये जिससे चिम्पांजियों और उनके व्यवहार की वैज्ञानिक समझ को विकसित करने में काफ़ी मदद
''अमेरिकन जर्नल आफ़ प्राइमेटोलोजी'' के अगस्त 2008 के अंक में तंजानिया के महाले माउंटेन्स नेशनल पार्क में चिम्पांजियों पर एक साल तक चले एक अध्ययन के परिणामों के बारे में बताया गया था जिसमें यह साक्ष्य प्रस्तुत किये गये थे कि चिम्पांजी वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारियों के शिकार होते हैं जो संभवतः उन्हें मनुष्यों के सम्पर्क से हुआ
=== अध्ययन ===
[[चित्र:Chimpanzee_Enos_before_the_flight_of_Mercury-Atlas_5.jpg|left|thumb|अंतरिक्ष में जाने वाला चिम्पांजी एनोस, 1961 में मर्करी-एटलस 5 कैप्सूल में डाले जाने से पहले.]]
नवंबर 2007 तक अमेरिका की 10 प्रयोगशालाओं में (वहाँ कैद में रहने वाले 3,000 विशाल वानरों में से) 1300 चिम्पांजी मौजूद थे जिन्हें या तो जंगलों से पकड़ा गया था या फ़िर सर्कसों, पशु प्रशिक्षकों या चिड़ियाघरों से प्राप्त किया गया था।<ref>{{Cite web| url = http://www.releasechimps.org/mission/end-chimpanzee-research | title = End chimpanzee research: overview | publisher = Project R&R, New England Anti-Vivisection Society | date = 2005-12-11 | accessdate = 2008-03-24}}</ref> ज्यादातर प्रयोगशालाओं में या तो शोध को स्वयं किया गया या शोध के लिए चिम्पांजियों को उपलब्ध कराया;<ref name="HSUSmap">{{Cite web| url = http://www.hsus.org/animals_in_research/chimps_deserve_better/research/chimpanzee-lab-and-sanctuary-map.html | title = Chimpanzee lab and sanctuary map | publisher = The Humane Society of the United States | accessdate = 2008-03-24}}</ref> इस शोध को "संक्रामक एजेंट के साथ टीकाकरण, चिम्पांजी के हित के लिये नहीं बल्कि शोध के लिये की जाने वाली शल्य चिकित्सा या बायोप्सी और/या औषधि परीक्षण" के रूप में परिभाषित किया गया।<ref name="HSUSresearch">{{Cite web| url = http://www.hsus.org/animals_in_research/chimps_deserve_better/research/overview_of_research_uses_and.html | title = Chimpanzee Research: Overview of Research Uses and Costs | publisher = Humane Society of the United States | accessdate = 2008-03-24 |archiveurl = http://web.archive.org/web/20080307055406/http://www.hsus.org/animals_in_research/chimps_deserve_better/research/overview_of_research_uses_and.html <!-- Bot retrieved archive --> |archivedate = 2008-03-07}}</ref> संघ द्वारा वित्त पोषित दो प्रयोगशालाएं चिम्पांजियों का प्रयोग करती हैं: जॉर्जिया के अटलांटा में इमोरी यूनिवर्सिटी में यर्केस नेशनल प्राइमेट रिसर्च लेबोरेटरी और टेक्सास के सैन एंटोनियो में साउथवेस्ट नेशनल प्राइमेट सेंटर.<ref name="Lovgren">
जैव-चिकित्सा संबंधी अनुसंधान में इस्तेमाल किये गए चिम्पांजियों को ज्यादातर प्रयोगशाला संबंधी जानवरों के मामले में प्रयोग करने के बाद मार डालने के प्रचलन की बजाय कई दशकों तक बार-बार इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिका की प्रयोगशालाओं में वर्तमान में मौजूद कुछ चिम्पांजियों को 40 से अधिक वर्षों से प्रयोगों में इस्तेमाल किया जा रहा है।<ref name="HSUSbetter">
चिम्पांजी जीनोम के प्रकाशन के साथ प्रयोगशालाओं में चिम्पांजियों के इस्तेमाल को बढ़ाने की कथित तौर पर योजनाएं तैयार की गयी हैं जिसके बारे में कुछ वैज्ञानिकों का तर्क है कि शोध के लिये चिम्पांजियों के प्रजनन पर संघीय प्रतिबंध (फ़ेडरल मोरेटोरियम) को हटा लिया जाना
अन्य शोधकर्ताओं का तर्क है कि चिम्पांजी विशिष्ट प्रकार के जानवर हैं और इनका इस्तेमाल या तो प्रयोगशालाओं में नहीं किया जाना चाहिये या फ़िर इनके साथ अलग तरह से व्यवहार किया जाना
सरकारों द्वारा विशाल वानरों के शोध पर प्रतिबंध लगाने की संख्या बढ़ती जा रही है जो शोध या जहरीले परीक्षणों में चिम्पांजियों और अन्य विशाल वानरों के इस्तेमाल पर रोक लगाती है।<ref>
== लोकप्रिय संस्कृति में ==
{{See also|List of fictional apes|Category:Famous apes}}
चिम्पांजियों को लोकप्रिय संस्कृति में एक समान रूप से दिखाया गया है जहाँ उन्हें ज्यादातर मानकीकृत भूमिकाओं<ref name="Van Riper 19">{{Cite book|last=Van Riper|first=A. Bowdoin|title=Science in popular culture: a reference guide|publisher=[[Greenwood Press]]|location=Westport|year=2002|page=19|isbn=0–313–31822–0}}</ref> जैसे कि बच्चों जैसे साथियों के रूप में, खास सहयोगियों या जोकरों के रूप में शामिल किया गया है।<ref name="Van Riper 18">
टेलीविजन के युग में चिम्प की भूमिका के लिये [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] में एक नयी शैली की शुरुआत हुई है: एक ऐसी सीरीज जिसके पात्रों में चिम्पांजियों को पूरी तरह से मनुष्यों जैसे कपड़े पहने और मानव अभिनेताओं द्वारा डब की गयी लाइनों पर "बोलते" हुए दिखाया जाता है।<ref name="Van Riper 19"/> ये कार्यक्रम, जिनके उदाहरणों में 1970 के दशक में ''लैन्सेलोट लिंक, सीक्रेट चिम्प'' या 1990 के दशक में ''द चिम्प चैनल'' शामिल हैं, अपनी पुरानी, कम हास्य वाली कथाओं को मजेदार बनाने के लिये वानर पात्र की विलक्षणता पर भरोसा किया गया था।<ref name="Van Riper 19"/> उनके चिम्पांजी "अभिनेता" सर्कस के किसी खेल में वानरों के समान आपस में बदले जाने योग्य होते थे जो चिम्पांजियों की तरह मनोरंजक होते थे ना कि व्यक्तिगत तौर पर.<ref name="Van Riper 19"/> मानव अधिकार समूह पेटा ने पशुओं के साथ होनेवाले दुरुपयोग का हवाला देते हुए विज्ञापन दाताओं को टेलीविजन और व्यावसायिक विज्ञापनों में चिम्पांजियों के इस्तेमाल के विरुद्ध आग्रह किया था।<ref>
जब अन्य टीवी कार्यक्रमों में चिम्पांजियों को दिखाया जाता है, आम तौर पर उन्हें हास्यपूर्ण ढंग से मनुष्यों को सहायता पहुँचाने के लिये ऐसा करते हुए पेश किया जाता है। उदाहरण के लिये उस भूमिका में जे. फ़्रेड मग्स ''टुडे शो'' के प्रस्तोता (होस्ट) डेव गैरोवे के साथ 1950 के दशक में, जूडी 1960 के दशक में ''डक्टारी'' में या डार्विन ''द वाइल्ड थोर्न बेरीज'' में 1990 के दशक में दिखाई दिये थे।<ref name="Van Riper 19"/> इसके विपरीत अन्य जानवरों के काल्पनिक चित्रणों में जैसे कि ''कुत्तों (लैसी'' के रूप में), ''डॉल्फ़ीन्स (फ़्लिपर)'', ''घोड़े (द ब्लैक स्टैलियन)'' या यहाँ तक कि अन्य ''विशाल वानरों (किंग कांग)'', चिम्पांजी के पात्र और उनकी भूमिकाएं शायद ही कभी कथानक के लिये प्रासंगिक होती हैं।<ref name="Van Riper 19"/>
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