→किंवदंती
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|accessmonthday=[[३१ मार्च]]|accessyear=[[२००९]]|format= एचटीएम|publisher=छत्तीसगढ़ न्यूज़|language=}}</ref>
==किंवदंती==
मान्यता है कि मंदिर के गर्भगृह में श्रीराम के अनुज लक्ष्मण के द्वारा स्थापित लक्ष्यलिंग स्थित है। इसे लखेश्वर महादेव भी कहा जाता है क्योंकि इसमें एक लाख लिंग है। इसमें एक पातालगामी लक्ष्य छिद्र है जिसमें जितना भी जल डाला जाय वह उसमें समाहित हो जाता है। इस लक्ष्य छिद्र के बारे में कहा जाता है कि मंदिर के बाहर स्थित कुंड से इसका सम्बंध है। इन छिद्रों में एक ऐसा छिद्र भी है जिसमें सदैव जल भरा रहता है। इसे ''अक्षय कुंड'' कहते हैं। स्वयंभू लक्ष्यलिंग के आस पास वर्तुल योन्याकार जलहरी बनी है। मंदिर के बाहर परिक्रमा में राजा खड्गदेव और उनकी रानी हाथ जोड़े स्थित हैं। प्रति वर्ष यहाँ महाशिवरात्रि के मेले में शिव की बारात निकाली जाती है। छत्तीसगढ़ में इस नगर की ''काशी'' के समान मान्यता है।<ref>{{cite web |url=http://aarambha.blogspot.com/2008/03/lakhaneshwar.html|title=सिंदूरगिरि के बीच में, लखनेश्वर भगवान|accessmonthday=[[३१ मार्च]]|accessyear=[[२००९]]|format= एचटीएमएल|publisher=आरंभ|language=}}</ref> कहते हैं भगवान राम ने इस स्थान में खर और दूषण नाम के असुरों का वध किया था इसी कारण इस नगर का नाम खरौद पड़ा।<ref>{{cite web |url=http://tapeshjainji.blogspot.com/2006/11/blog-post_5734.html|title=
==संदर्भ==
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