"प्रत्यक्षवाद (विधिक)": अवतरणों में अंतर

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== विधिक प्रमाणवाद का विभिन्न अर्थों में प्रयोग ==
विधिक प्रमाणवाद को राज्य सम्प्रभु के रूप में तथा विधि को सम्प्रभु के समादेश के रूप में और विधि के अनुपालन में अनुशास्ति के तत्व की व्याख्या के कारण विधि का आज्ञात्मक (Imperative) सिद्धान्त भी कहा गया है। विधिक प्रमाणवाद का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया गया है। आधुनिक विश्लेषणात्मक प्रमाणवादी विचारक प्रो॰एच0एल0ए0प्रो॰ [[एच॰एल॰ए॰ हार्ट]] ने स्वयं इसका प्रयोग पाँच अर्थों में स्वीकार किया है। <ref>H. L. A. Hart, "Positivism and the Separation of Law and Morals" (1958) 71 Harvard Law Review 593, 601-2.</ref>
 
*1. विधियाँ मानवप्राणियों का समादेश हैं।