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[[File:Sitar full.jpg|thumb|सितार]]
'''सितार''' भारत
आधुनिक काल में सितार के तीन घराने अथवा शैलियाँ इस के वैविध्य को प्रकाशित करते रहे हैं। बाबा अलाउद्दीन खाँ द्वारा दी गयी तन्त्रकारी शैली जिसे पण्डित [[रविशंकर]] [[निखिल बैनर्जी]] ने अपनाया दरअसल सेनी घराने की शैली का परिष्कार थी। अपने बाबा द्वारा स्थापित इमदादखानी शैली को मधुरता और कर्णप्रियता से पुष्ट किया उस्ताद [[विलायत खाँ]] ने। पूर्ण रूप से तन्त्री वाद्यों हेतु ही वादन शैली '''मिश्रबानी''' का निर्माण डॉ [[लालमणि मिश्र]] ने किया तथा सैंकडों रागों में हजारों बन्दिशों का निर्माण किया। ऐसी ३०० बन्दिशों का संग्रह वर्ष २००७ में प्रकाशित हुआ है।
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