"वोले शोयिंका": अवतरणों में अंतर
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अश्वेत अफ्रीका की परंपरा, संस्कृति और धार्मिक विश्वास में युगों-युगों से रचे-बसे मिथकों की काव्यात्मकता और उनकी नई रचनात्मक सम्भावनाओं को शोयिंका ने ही पहली बार पहचाना। प्राचीन यूनानी मिथकों की आधुनिक यूरोपीय व्याख्या से प्रेरित हो उन्होंने योरूबा देवमाला की सर्वथा नई दृष्टि से देखा। साहित्य और कला के अपार रचना-सामर्थ्य को प्रतिबिम्बित करने वाले योरूबा देवता ओगुन इस नव्य दृष्टिकोण को रेखांकित करती है। उनकी कविताओं के अनुवाद हिंदी में भी पढ़े जा सकते हैं।<ref>{{cite web |url= http://taana-baana.blogspot.com/2008/11/blog-post_10.html|title=तुम छोड़ जाती हो ...सतह पर |accessmonthday=[[१० अगस्त]]|accessyear=[[२००९]]|format=एचटीएमएल|publisher=तानाबाना|language=}}</ref>
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