"श्रीमद्भगवद्गीता तात्पर्य अथवा जीवन धर्मयोग": अवतरणों में अंतर

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''' श्रीमद्भगवद्गीता तात्पर्य अथवा जीवन धर्मयोग ''' [[कन्नड़ भाषा]] के विख्यात साहित्यकार [[डी. वी. गुंडप्पा]] द्वारा रचित एक [[दार्शनिक व्याख्या]] है जिसके लिये उन्हें सन् 1967 में कन्नड़ भाषा के लिए [[साहित्य अकादमी]] पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
 
== संदर्भसन्दर्भ ==
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