"अंतरिक्ष": अवतरणों में अंतर
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[[संस्कृत]] और [[वैदिक साहित्य]] में ''अंतरिक्ष'' शब्द का प्रयोग कई बार हुआ है - जहाँ से हिन्दी का शब्द और अर्थ लिया गया है। हाँलांकि वैदिक साहित्य में अंतरिक्ष का अर्थ [[पृथ्वी]] और [[द्युलोक]] - द्युलोक, यानि तारे और सूरज, प्रकाशमान, द्युत पदार्थों का लोक - के मध्य की चीज़ों को अंतरिक्ष कहते हैं। अंतरिक्ष शब्द का प्रयोग वेदों में ''द्यावा'' और ''पृथवी'' के साथ देखने को मिलता है। <ref>जैसे [[यजुर्वेद]] के ३६ वें अध्याय का १७ वाँ श्लोक - '''द्यौः शान्तिरअंतरिक्षं शान्तिः पुथ्वी शान्तिरापोः
== इन्हें भी देखें ==
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