"अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म": अवतरणों में अंतर
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हिंदू धर्म का वहाँ आरम्भ कब हुआ इसकी कोई विश्वसनीय जानकारी नहीं है, परन्तु इतिहासकारों का मन्तव्य है कि, प्राचीन काल में दक्षिण [[हिन्दु कुश|हिन्दू कुश]] का क्षेत्र सांस्कृतिक रूप से [[सिंधु घाटी सभ्यता]] के साथ जुड़ा था। पक्षान्तर में, अधिकांश इतिहासकारों का कहना है कि, वंश परम्परा से अफगानिस्तान प्राचीन आर्यनों का निवास स्थान था, जो 330 ई. पू [[सिकंदर महान]] और उनकी ग्रीक सेना के आने से पूर्व [[हख़ामनी साम्राज्य]] के अधीन हो गया था। तीन वर्ष के पश्चात् सिकन्दर के प्रस्थान के बाद सेलयूसिद साम्राज्य का अंग बन गया। 305 ईसा पूर्व, यूनानी साम्राज्य ने भारत के [[मौर्य राजवंश|मौर्य साम्राज्य]] के साथ सन्धि करके दक्षिण हिन्दू कुश का नियन्त्रण समर्पित कर दिया।
5 वीं और 7 वीं शताब्दी के मध्य में जब चीनी यात्री [[फ़ाहियान]], गीत यूं और [[ह्वेन त्सांग]] ने अफगानिस्तान की यात्रा की थी, तब उन्होंने कई यात्रा वृत्तांत लिखे थे, जिनमें अफगानिस्तान पर विश्वसनीय जानकारी संकलित हुई थी। उन्होंने कहा कि, उत्तर में [[आमू दरिया|अमू दरिया]] (ऑक्सस् नदी) और [[सिन्धु नदी|सिंधु नदी]] के मध्य के विभिन्न प्रान्तों में बुद्धधर्म का अनुसरण होता था।<ref name="Habibi"><cite class="citation web">[http://www.alamahabibi.com/English%20Articles/E-Chinese_Travelers.htm "Chinese Travelers in Afghanistan"]. </cite></ref> यद्यपि, उन्होंने हिन्दुत्व के विषय में अधिक उल्लेख नहीं किया था, तथापि गीत यूं ने उल्लेख किया था कि, हेफथलाइट् (Hephthalite) शासकों ने कभी बौद्ध धर्म को नहीं जाना, किन्तु "उन्होंने छद्म देवताओं का प्रचार किया और पशुओं का उनके मांस के लिए आखेट किया"।<ref name="Habibi"><cite class="citation web">[http://www.alamahabibi.com/English%20Articles/E-Chinese_Travelers.htm "Chinese Travelers in Afghanistan"]. </cite></ref> चीनी भिक्षुगण बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। अतः यह संभव है कि, किसी अन्य धर्म के विषय में लिखने में उनकी रुचि न हो।इसके अतिरिक्त, युद्धनायको और दस्युओं (डाकु, bandit) के कारण अफगानिस्तान क्षेत्र की यात्रा उनके लिये अत्यन्त
=== काबुल शाही और झूनबिल राजवंश ===
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काबुल शाही शासकों ने उत्तरीय झूनबिल क्षेत्र में शासन किया था, जिस में [[काबुलिस्तान]] और [[गांधार (जनपद)|गान्धार जनपद]] भी अन्तर्भूत होते हैं। अरबी लोग काबुल तक इस्लाम के संदेश के साथ पहुंचें, परन्तु वो वहाँ अधिक शासन करने में सक्षम नहीं हुए। काबुल शाहों ने नगर के चारों ओर विशाल भित्ती (wall) बनाने का निर्णय लिया, जिससे अरबों द्वारा किये जाने आक्रमणों से बचा जा सके। वो भित्ती आज भी उपस्थित है। <ref><cite class="citation news">"The Kabul Times Annual". </cite></ref>
2002 नामक अपनी पुस्तक में
''हिंदू'' शब्द अफगानिस्तान प्रथम बार 982 में प्रकट हुआ ऐसे प्रमाण मिलते हैं। हुदौद-अल-
[[चित्र:Kabul_Museum_statue_2.jpg|दाएँ|अंगूठाकार|काबुल संग्रहालय मूर्ति]]
10 वीं सदी में जब [[महमूद ग़ज़नवी|महमूद गजनी]] ने [[सिन्धु नदी|सिंधु नदी]] को लांघने कर हिंदुस्तान (हिंदुओं की भूमि) में प्रवेश करने के लिये प्रयास कर रहा था, गझनवी मुसलमानों ने हिन्दू दासों को पकना आरंभ कर दिया, जिससे आज का अफगानिस्तान बना है। [[अल-इदरीसी]] प्रमाणित करता है कि, 12 वीं शताब्दी पर्यन्त सभी शाही राजाओं के राज्याभिषेक के लिये एक अनुबंध (contract) काबुल पर लागु होता था और उस अनुबंध का पालन करने के लिये कुछ परम्परागत शर्तों स्वीकारना पड़ता था। <ref name="Al-Idrisi 1991, p 127">Al-Idrisi, p. 67, Maqbul Ahmed; Al-Hind, the Making of the Indo-Islamic World, 1991, p. 127, Andre Wink.</ref> गझनवी के सैन्य की पदाक्रान्तता (घुसपैठ) के कारण [[सुन्नी इस्लाम]] पर वर्चस्व स्थापित हो गया, जो आज अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हैं। विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों में, जैसे कि मार्टिन एवन्स्, इ. जे. ब्रिल् और फरिश्ता में काबुल से लेकर अफगानिस्थान के अन्य भागों में इस्लाम के विस्तार की और महमूद के विजय की घटनायें उल्लिखित हैं।
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1996 से 2001 में तालिबान के शासन काल में हिंदुओं को अनिवार्य रूप से पीले बैज पहनने का आदेश दिया गया था। वो इस लिये क्योंकि, मस्जिदों में प्रार्थना के समय न जाने वाले मुस्लिमों को दण्डित करते समय गैर-मुसलमानों के रूप में उनका परिचय हो सके। हिन्दू महिलाओं को अनिवार्य रूप से [[बुर्क़ा|बुर्का]] पहनने का आदेश था। सार्वजनिक स्तर पर उनकी "रक्षा" और उत्पीड़न को रोकने के लिये ये नियम निर्धारित किये गये थे। परन्तु ये तालिबान की योजना का एक भाग था, जिससे वे "गैर-इस्लामी" और "मूर्तिपूजक" समुदायों को इस्लामी लोगों से पृथक् कर सकें।<ref>[http://archives.cnn.com/2001/fyi/news/05/22/taleban.hindus/index.html Taliban to mark Afghan Hindus],''CNN''</ref>
उस निर्णय की निंदा भारतीय और अमेरिकी सरकारों ने धार्मिक स्वतंत्रता के
भारतीय विश्लेषक राहुल बनर्जी ने कहा कि, अफगानिस्थान में राज्य-प्रायोजित उत्पीड़न की ये प्रथम घटना नहीं थी। वर्षों से हिन्दु समाज के विरुद्ध हिंसा के कारण शीघ्रता से हिंदू
जुलाई 2013 में, अफगान संसद ने अल्पसंख्यक समूह के लिये आरक्षित स्थानों के विधयक (bill) को अस्वीकृत कर दिया; उस विधेयक के विरुद्ध मतदान किया गया था। इस तत्कालीन राष्ट्रपति [[हामिद करज़ई|हामिद करजई]] के द्वारा उपस्थापित उस विधेक में जनजातीय लोगों और "महिला" के रूप में "असक्षम वर्ग" को आरक्षण मिला था, परन्तु धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति धार्मिक समानता का अनुच्छेद संविधान में नहीं है। <ref><cite class="citation web">[http://kabulpress.org/my/spip.php?article166718 "We condemn the discrimination against Sikhs and Hindus of Afghanistan"]. </cite></ref>
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* [[खत्री]]
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