"आर्थिक विकास": अवतरणों में अंतर

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;शब्दावली की दुविधा : आर्थिक समृद्धि या आर्थिक विकास?
 
आर्थिक समृद्धि कहें या आर्थिक विकास?- इन दोनों में से कौन-सी शब्दावली का प्रयोग करें- इसको लेकर भी अर्थशास्त्री दुविधा में हैं। साधारण बोलचाल की भाषा में तो आर्थिक समृद्धि और आर्थिक विकास इन दोनों शब्दों का एक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता रहा है। लेकिन सबसे पहले प्रो. शूम्पीटर ने 1911 में प्रकाशित "थ्योरी आफऑफ इक्नोमिक डेवलेपमेंट" नामक एक लेख में आर्थिक समृद्धि एवं आर्थिक विकास की अवधारणाओं में अंतर स्पष्ट किया था। उसके बाद से अनेक अर्थशास्त्रियों ने इन अवधारणाओं में अंतर बताया है। प्रो. किन्डलबर्जर के अनुसार, आर्थिक समृद्धि से तात्पर्य है अधिक उत्पादन, जबकि आर्थिक विकास में दोनों बातें शामिल होती हैं- अधिक उत्पादक तथा तकनीकी एवं संस्थागत व्यवस्थाओं में परिवर्तन। इस प्रकार आर्थिक समृद्धि की तुलना में आर्थिक विकास एक विस्तृत अवधारणा है।
 
तकनीकी दृष्टि से समृद्धि एवं विकास की धारणाओं में अंतर मानते हुए भी ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने व्यावहारिक दृष्टि से समृद्धि और विकास को एक ही अर्थ में परिभाषित किया है। वे विकास को '[[आय]] में वृद्धि' और 'उत्पादन वृद्धि' से आगे की चीज मानते हुए भी उसे आय और उत्पादन वृद्धि के रूप में ही परिभाषित करते हैं। विकास को केवल प्रति व्यक्ति [[सकल घरेलू उत्पाद]] (जी.डी.पी.) में वृद्धि के रूप में न मानते हुए भी वे विश्व के विकसित, विकासशील और अविकसित देशों के बीच विभाजन प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. के आधार पर ही करते हैं। यह विडम्बना ही है कि एक ओर वे कहते हैं कि विकास यह नहीं है किन्तु दूसरी ओर जो नहीं है उसी को विकास स्वीकार कर लेते हैं।