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बुद्धि तथा सुन्दरता के लिये विख्यात [[रानी पद्मिनी, चित्तौड़|महारानी पद्मिनी]] भी यहीं की थी। कहा जाता है कि उसकी एक झलक पाने के लिये सल्तनत दिल्ली के सुल्तान [[अल्लाउदीन खिलजी]] ने इस किले पर आक्रमण किया। रानी ने अपने चेहरे की परछाई को लोटस कुण्ड में दिखाया। इसके बाद उसकी इच्छा रानी को ले जाने की हुयी। पर यह संभव न हो सका। क्योंकि महारानी सभी रानियों और सभी महिलाओं सहित एक एक कर जलती हुयी आग जिसे विख्यात [[जौहर]] के नाम से जानते है, में कूद गयी और अल्लाउदीन खिलजी की इच्छा पूरी न हो सकी।
 
मुख्य शासकों में [[बप्पा रावल]] (1433-68), [[राणा सांगा]] (1509-27) जिनके शरीर पर 80 घाव होने, एक टांग न (अपंग) होने, एक हाथ न होने के बावजूद भी शासन सामान्य रुपरूप से चलाते थे बल्कि [[बाबर]] के खिलाफ लडाई में भी भाग लिया। और सबसे प्रमुख [[महाराणा प्रताप]] (1572-92) हुये जिन्होने [[अकबर]] की अधीनता नहीं स्वीकार की और राजधाने के बिना राज्य किया।
 
== दर्शनीय स्थल (शहर में) ==