"औरंगाबाद, महाराष्ट्र": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
पंक्ति 36:
{{main|बीबी का मकबरा}}
[[चित्र:Bibika.jpg|right|250px|thumb|[[बीबी का मकबरा]]]]
इस सुंदर इमारत को स्‍थानीय लोग ताजमहल का जुड़वा रुपरूप मानते हैं। लेकिन बाहर के लोग इसे ताजमहल की फूहड़ नकल मानते हैं। इसे औरंगजेब के बेटे आजमशाह ने अपनी माता रबिया दुर्रानी की याद में बनवाया था। यह इमारत अभी भी पूर्णत: सुरक्षित अवस्‍था में है। इसी शहर में एक और भवन है जिसे सुनहरी महल कहा जाता है।
 
प्रवेश शुल्‍क: भारतीयों के लिए 10 रु. तथा विदेशियों के लिए 100 रु।
पंक्ति 58:
 
=== औरंगाबाद की गुफाएं ===
ये गुफाएं शहर से कई किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित हैं। इन गुफाओं में बौद्ध धर्म से संबंधित चित्रकारी की गई है। यहां कुल दस गुफाएं हैं जो कि पूर्व और पश्‍िचमी भाग में बटा हुआ है। इन गुफाओं में चौथी गुफा सबसे पुरानी है। इस गुफा की बनावट हीनयान सम्‍प्रदाय से संबंधित वास्‍तुशैली में की गई है। इन गुफाओं में जातक कथाओं से संबंधित चित्रकारी की गई है। पांचवी गुफा में बुद्ध को एक जैन तीर्थंकर के रुपरूप में दर्शाया गया है।
प्रवेश शुल्‍क: भारतीयों के लिए 10 रु. तथा विदेशियों के लिए 100 रु.।
समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक।
पंक्ति 70:
 
=== खुल्‍दाबाद ===
औरंगजेब ने खुल्‍दाबाद के बाहरी छोर में स्थित राउजा में अपने को दफनाने की इच्‍छा व्‍य‍क्‍त की थी। यहां स्थित औरंगजेब का मूल मकबरा बहुत सादगी के साथ बनाया गया था। इस मकबरे का निर्माण औरंगजेब के खुद के कमाए पैसे से हुआ था। औरंगजेब ने टोपी बनाकर तथा कुरान की हस्‍तलिपि तैयार कर पैसे कमाए थे। इस मकबरे को बाद में भव्‍य रुपरूप दिया गया। यह काम अंग्रेजों और हैदराबाद के निजामों ने किया था। मकबरे के बाहर स्थित दुकानों से इस मकबरे की छोटी अनुकृति प्राप्‍त की जा सकती है।
 
=== पैठण ===
पंक्ति 86:
 
=== लोनार देवी ===
माना जाता है कि‍ 50,000 वर्ष पहले आकाश से 20 लाख टन का एक उल्‍कापिंड गिरने से एक विशाल गढ़ढे का निर्माण हुआ था। आज यह जगह एक झील का रुपरूप ले चुका है। इस क्षेत्र को स्‍थानीय लोग लोनार देवी का क्षेत्र मानते हैं। स्‍थानीय लोग लोनार देवी की उपासना करते हैं। यहां पर कई अन्‍य मंदिर भी है। इनमें गणपति, नरसिम्‍हा तथा रेणुकादेवी मंदिर शामिल है। गायमुख तथा दैत्‍यासुदाना मंदिर लगभग नष्‍ट ही हो गया है। लेकिन इन मंदिरों में अभी भी पूजा की जाती है। अगर आप यहां आएं तो इन मंदिरों को जरुर देखें।
 
इस झील के कई रहस्‍यमय सवालों का उत्तर खोजा जाना अभी बाकी है। उदाहरणस्‍वरुप, कोई नहीं जानता कि बुलदाना के सुखाग्रस्‍त होने के बावजूद इस झील में कैसे सालोंभर पानी रहता है? माना जाता है किसी स्रोत से इस झील में पानी आता है लेकिन उस स्रोत का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। इससे भी बड़ा आश्‍चर्य यह है कि इस झील के पानी का पीएच मान एक समान नहीं, बल्कि भिन्‍न-भिन्‍न है। अगर आपको विश्‍वास नहीं हो तो आप इसे लिटमस पेपर के माध्‍यम से चेक कर सकते हैं।
पंक्ति 100:
* [http://www.bamu.net/डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय]
* [http://geca.ac.in/ सरकारी यांत्रिकी एवं तंत्रशास्त्र संस्थान]
* [http://www.mitindia.net/ मराठवाडा इन्स्टीट्यूट आफऑफ टेक्नालाजी औरंगाबाद]
* [http://aurangabadcity.co.in औरंगाबाद की खबरे (मराठी में )]