"चण्डी चरित्र": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति 5:
| date = 1999
| isbn = 8185151628
| page = 7}}</ref> [[सिख धर्म|सिखों]] के दसवें [[गुरु गोबिन्द सिंह]] जी द्वारा रचित देवी [[चण्डिका]] की एक स्तुति है। गुरु गोबिन्द सिंह एक महान योद्धा एवं भक्त थे। वे देवी के शक्ति रुपरूप के उपासक थे।
 
यह स्तुति [[दशम ग्रंथ]] के "उक्ति बिलास" नामक विभाग का एक हिस्सा है। गुरुबाणी में [[हिन्दू]] देवी-देवताओं का अन्य जगह भी वर्णन आता है<ref>http://www.srigranth.org/servlet/gurbani.gurbani?Action=KeertanPage&K=553&L=9&id=24468</ref>।
 
'चण्डी' के अतिरिक्त 'शिवा' शब्द की व्याख्या ईश्वर के रुपरूप में भी की जाती है। "महाकोश" नामक किताब में ‘शिवा’ की व्याख्या ‘ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ’ (परब्रह्म की शक्ति) के रुपरूप में की गई है<ref>{{cite web
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