"जगजीवन राम": अवतरणों में अंतर

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== उच्च शिक्षा ==
बाबूजी ने वर्ष 1920 में आराह स्थित [[अग्रवाल विद्यालय]] में उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु प्रवेश लिया | आयु वृद्धि के साथ ही उनमें परिपक्वता का भी समावेश हो रहा था | उनकी विदेशी भाषाओं को समझने व सीखने की जिज्ञासा के बल पर उन्होंने अंग्रेज़ी में निपुणता हासिल की, साथ ही माननीय [[श्री बंकिम चन्द्र चटर्जी]] द्वारा रचित 'आनंद मठ' की मूल पुस्तक (जो बांगाली में लिखित है) को पढ़ने के लिए बांगाली तक सीख गए | वे अंग्रेज़ी व बांगाली के साथ-साथ हिंदी व संस्कृत में भी माहिर थे | 1925 में [[पंडित मदन मोहन मालवीय]] जब आराह पधारे तो वे युवा जगजीवन के व्यापक ज्ञान व सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखकर अचंभित रह गए तथा उन्हें तभी आभास हो गया कि ये किशोर भविष्य में देश की आज़ादी व राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा सकता है | उन्होंने युवा जगजीवन से स्वयं मुलाकात की व [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] आने का निमंत्रण दिया | परन्तु जगजीवन राम को वहाँ जाति के आधार पर भेद भाव झेलना पड़ा | क्रांतिकारी स्वाभाव के जगजीवन ने इसका खुल कर विरोध किया और वे सफल भी हुए | आतंरिक विज्ञान परिक्षापरीक्षा में वे उत्तम अंकों से उत्तीर्ण हुए व वर्ष 1931 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक में उच्चतम अंकों से उत्तीर्ण हुए |
 
== राजनीतिक जीवन का शंखनाद ==