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:क्षुत्पिपासाजराजरातक्ड जन्मान्तकभयस्मयाः।
:न रागद्वेषमोहाश्च यस्याप्तः स
भूक, प्यास, बुढापा, रोग, जन्म, मरण, भय, घमण्ड, राग, द्वेष, मोह, निद्रा, पसीना आदि २८ दोष नहीं होते वही वीतराग देव कहें जाते हैं।{{sfn|जलज|२००६|प=८}}
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