"तिथियाँ": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
पंक्ति 6:
* [[कृष्ण पक्ष]] में १-१४ और [[अमावस्या]]
 
वैदिक लोग वेदांग ज्योतिषके आधार पर तिथिको अखण्ड मानते हैहै। क्षीण चन्द्रकला जब बढने लगता है तब अहोरात्रात्मक तिथि मानते हैहै। जिस दिन चन्द्रकला क्षीण होता उस दिन अमावास्या माना जाता हैहै। उसके के दूसरे दिन शुक्लप्रतिपदा होती हैहै। एक सूर्योदय से अपर सूर्योदय तक का समय जिसे वेदाें मे अहोरात्र कहा गया है उसी को एक तिथि माना जाता हैहै। प्रतिपदातिथिको १, इसी क्रमसे २,३, ४,५,६,७,८,९,१०,११,१२, १३, १४ और १५ से पूर्णिमा जाना जाता हैहै। इसी तरह पूर्णिमा के दूसरे दिन कृष्णपक्ष का प्रारम्भ होता है और उसको कृष्णप्रतिपदा (१)माना जाता है इसी क्रम से २,३,४,५,६,७,८,९,१०,११,१२, १३,१४ इसी दिन चन्द्रकला क्षीण हो तो कृष्णचतुर्दशी टुटा हुआ मानकर उसी दिन अमावास्या मानकर दर्शश्राद्ध किया जाता है और १५वें दिन चन्द्रकला क्षीण हो तो विना तिथि टुटा हुआ पक्ष समाप्त होता हैहै। नेपाल में वेदांग ज्योतिष के आधार पर "वैदिक तिथिपत्रम्" (वैदिक पञ्चाङ्ग) व्यवहारमे लाया गया हैहै। सूर्य सिद्धान्त के आधार के पञ्चांगाें के तिथियां दिन में किसी भी समय आरम्भ हो सकती हैं और इनकी अवधि उन्नीस से छब्बीस घण्टे तक हो सकती है।
 
ये १-१५ तक तिथियों को निम्न नाम से कहते हैं:-