"पीपाजी": अवतरणों में अंतर
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भक्तराज पीपाजी का जन्म विक्रम संवत १३८० में [[राजस्थान]] में [[कोटा]] से ४५ मील पूर्व दिशा में [[गागरोन]] में हुआ था।<ref>{{cite web|title=हमारे संत/ पीपा जी |url=http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/tayaarinews/article1-story-67-67-199583.html |publisher= लाइव हिन्दुस्तान |date=७ नवम्बर २०११ |accessdate=२७ जुलाई २०१५ |author=विश्वनाथ सिंह}}</ref> वे चौहान गौत्र की खींची वंश शाखा के प्रतापी राजा थे। सर्वमान्य तथ्यों के आधार पर [[पीपानन्दाचार्य जी]] का जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिम, बुधवार विक्रम संवत १३८० तदनुसार दिनांक २३ अप्रैल १३२३ को हुआ था। उनके बचपन का नाम प्रतापराव खींची था। उच्च राजसी शिक्षा-दीक्षा के साथ इनकी रुचि आध्यात्म की ओर भी थी, जिसका प्रभाव उनके साहित्य में स्पष्ट दिखाई पडता है। किवदंतियों के अनुसार आप अपनी कुलदेवी से प्रत्यक्ष साक्षात्कार करते थे व उनसे बात भी किया करते थे।
पिता के देहांत के बाद संवत १४०० में आपका गागरोन के राजा के
== रामानंद की सेवा में ==
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== चमत्कार ==
पीपानन्दाचार्य जी का संपुर्ण जीवन चमत्कारों से भरा हुआ है। राजकाल में देवीय साक्षात्कार करने का चमत्कार प्रमुख है उसके बाद संयास काल में स्वर्ण द्वारिका में ७ दिनों का प्रवास, पीपावाव में रणछोडराय जी की प्रतिमाओं को निकालना व आकालग्रस्त इस मे अन्नक्षेत्र चलाना, सिंह को अहिंसा का उपदेश देना, लाठियों को हरे बांस में बदलना, एक ही समय में पांच विभिन्न स्थानों पर उपस्थित होना, मृत तेली को जीवनदान देना, सीता जी का सिंहनी के
== रचना की संभाल ==
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