"पुलिस": अवतरणों में अंतर
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इंग्लैड अथवा अमरीका की पुलिस का जनता के प्रति दृष्टिकोण विश्वास और सम्मानपूर्ण हैं। सन् 1829 में इंग्लैंड में राबर्ट पील ने पुलिस का संगठन किया था। तब जनता ने पुलिस को पील के गुंडों का गिरोह कहा था। किंतु आज ब्रिटेन का पुलिसमैन वहाँ का लोकप्रिय अधिकारी है। वहाँ के कानून में पुलिस कर्मचारी के प्रति अविश्वास की मूलभूत धारणा नहीं है। दुर्भाग्य से अंग्रेजों के दो शताब्दी के शासन में भारतीय पुलिस को जनप्रेरणाओं के दमन के निमित्त व्यवहृत किया गया। परिणामस्वरूप, भारतवर्ष में पुलिस को सामान्यत: अविश्वास की दृष्टि से देखा जाता है। भारतवर्ष का साक्ष्य संबंधी अधिनियम, जिसमें पुलिस के निम्न अथवा उच्च पदाधिकारी के समक्ष की गई अपराधस्वीकृति अमान्य ठहराई गई है, इस बात के ज्वलंत प्रमाण है कि पुलिस की सत्यशीलता पर उस अधिनियम के रचयिताओं ने कितना अविश्वास किया था। लंदन अथवा अमरीकन पुलिस के सामान्य पदाधिकारी तक का कथन इस बात का प्रमाण माना जाता है कि अपराधी ने उसके सम्मुख अपराध स्वीकार किया हैं। इसके विपरीत हमारे देश के साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत पुलिस के महानिरीक्षक तक का कथन अपराधी की स्वीकारोकित को प्रमाणित करने के लिए अमान्य है। नए युग और नई पुलिस के विन्यास के निमित्त उक्त अधिनियम में और पुलिस के प्रति जनता के दृष्टिकोण में संशोधन परम आवश्यक है।
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* [[भारतीय पुलिस सेवा]]
* [[दिल्ली पुलिस]]
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